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अभियंता की डायरी : सारथी की यात्रा
मई 1998 बतौर कार्यपालक अभियन्ता गोदाम का दायित्व भार संभालते हुए ही बात समझ में आ गयी थी कि छोटी मछली को लील लेने के लिए व्हेल के संग अजगर म...
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अन्य के कार्य देखकर पीड़ित होना छोड़ दिया... कुछ पल का बचत.. एक वक्त में एक कार्य तो इश्क करना आसान किया लाल घेरे में गूढ़ाक्षरों को करे हिन...
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ज्वार-भाटा "जब भी मैं तुम्हें अपने संग सैर-सपाटे, फिल्म देखने, होटल में रहने, लॉन्ग ड्राइव पर चलने के लिए कहता, तुम्हरे पास कोई न कोई ब...
बहुत सुन्दर...जय हिन्द
ReplyDeleteअरे वाह चाची जी ,बहुत बढ़िया ............बहुत सुंदर |जय हिन्द
ReplyDeleteWah didi....jai hind
ReplyDeleteWaah ...Bahut Badhiya .... Jai Hind
ReplyDeleteमुझे ये फोटोज देखकर बहुत अच्छा लगा..एक उत्साह सा मन में उठा।ये वक्त आपके लिए भी कितना सुखद रहा होगा मैं समझ सकती हूँ ..जय हिन्द
ReplyDeleteइस ब्लॉग की सब से अच्छी पोस्ट।
ReplyDeleteसादर
बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : दिशाशूल : अंधविश्वास बनाम तार्किकता
अरे वाह तुस्सी भी ग्रेट हो जी..क्या बात है..
ReplyDeleteवाह, झंडा ऊँचा रहे हमारा।
ReplyDeleteझंडा ऊँचा रहे हमारा
ReplyDeleteजय हिन्द
सुंदर ... photograps
ReplyDeleteबसंत पंचमी कि बधाई.../मेरे भी ब्लॉग पर आये
jai hind