Tuesday, 13 March 2018

"तमाचा"

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एक दिन मैं हाथों में तख्ती लिए हर उम्र के लोगों के पंक्ति के सामने से गुजर रही थी। युवाओं की संख्या ज्यादा थी, "तीन तलाक हमारा हक़ है बिल वापस लो" तख्ती पर लिखे थे, तुम्हारी कौम क्यों नहीं चाहती कि औरतें सुखी हो?"
"उन्हें दुख क्या है?"
"तुम युवा हो हज के लिए जा रहे हो क्या झटके से तलाक देने को सही ठहरा रहे हो?"
"व्हाट्सएप्प पर नहीं देना चाहिए!"असहनीय मुस्कान थी इरफान के चेहरे पर,इरफान मेरे घर बिजली बिल देने आया था बातों के क्रम में वो बताया कि अपनी माँ को लेकर हज कराने जा रहा है क्यों कि औरत हज करने पति बेटा या किसी पुरुष के साथ जाएगी तभी फलित है...
"क्रोध में दिया तलाक सही है?"
"…"
"तुम्हारी सोच पर अफसोस हुआ... समय बदल रहा है... ऐसा ना हो कि स्त्रियाँ शादी से ही इंकार करने लगे।"
"मछली हर धर्म की फंस जाती है आँटी!"

कोढ़ में खाज

"नमस्कार राष्ट्रीय संयोजक महोदय! 49897 यानी लगभग पचास हजार सदस्यों वाली आपकी संस्था अपनी 13 वीं वर्षगाँठ मना चुकी है। ५० हजार कलमकारों ...