Wednesday, 19 July 2023

उधेड़बुन

झूला कजरी-

बटोही संगे संगे

धावे गोरिया

सावन की दोपहरी! झटके में आसमान कैनवास पर हल्के-मध्यम-गाढ़े, काले-भूरे-सिन्दूरी विभिन्न मिश्रित रंगों का आधुनिक कलात्मक आंदोलन का संदर्भ देता और उस काल की शैली और दर्शन को दर्शाता लुभा रहा था या डंक मारने में सफल हो रहा का आकलन करने की मनोदशा को घनवादी (क्यूबिस्ट) साबित कर रहा था।

खेत-गड्ढे-ताल फूलकर गुप्पा हो रहे थे। उनके पपड़ी पड़े होठों पर प्रसाधन के लेप चढ़ गये थे तो नदी के शरीर में कुछ ज्यादा ही चिकनाहट दिखने लगी थी। एक दूसरे को कनखियों से देखकर मुस्करा रहे थे। मेघ के परिग्रह में उतावलापन को देख मेड़-तट चिन्ताग्रस्त हो रहे थे। उनके किनारे-किनारे बसे घरों के बुजुर्ग-बच्चे मस्ती कर रहे थे।

"सपने में बंदरों का झुंड देखना शुभ होता है। मान्यता है कि इससे आर्थिक लाभ होता है। परिवार में खुशहाली आ सकती है।"

"सपने में बंदरों के झुंड को खेलते देखने का अर्थ होता है कि घर में चल रहा क्लेश खत्म हो सकता है।"

"शुभ संकेत समझ रही हूँ रात मेरे सपने में बंदर को खाना चुराते देखा, स्वप्न शास्त्र के अनुसार हमें अचानक कोई लाभ हो सकता है।"

"मेरे सपने में अक्सर बंदर अथाह पानी में तैरते दिखता है। जिसका मतलब होता है कि जल्द ही समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। हम पा भी जाते हैं।"

"चल पुछ्ते हैं हम इनके इतने सहायक हैं तो क्या ये हमें घर बनाना सिखला देंगीं!"

महिलाओं के झुण्ड को गप्पबाजी में मशगूल देखकर बन्दर दल के मुखिया ने कहा।

Wednesday, 5 July 2023

...कृषि सुखाने...


छन छन छन् न् छन् न् छन जल प्रपात का संगीत गूँज रहा था और उसके जल पर सूर्य की किरणें इंद्रधनुष बना रही थी। लाखों पर्यटकों की भीड़ इकेबना की तरह सजी हुई थी। एक नाम को सभी पुकार रहे थे। वही इस जल प्रपात को ढूँढ़ निकालने वाला और संरक्षक था। पिछ्ले दिनों आई बाढ़ में लगभग सौ लोगों की जान बचा लेने वाला, स्व अपनी जान बचा लेने का गुहार लगा रहा था। उसे पुलिस दबोच ले गयी थी।


"जी हजूर! आप किस आधार पर त्रिवेणी को कोतवाली उठा लाए हैं?" पत्रकार ने पुछा।


"त्रिवेणी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवायी गयी है कि वह जल बाँटने में, आस-पास लगे दुकानों से अनाधिकार वसूली करता है।  नक्सलियों के गढ़..." थानेदार अपनी बात पूरी नहीं कर सका।


"वह वसूली करता है या आपलोगों की वसूली नहीं हो पा रही है?वह दिन गए जब खलील खां फाख्ता उड़ाते थे...।" भीड़ से सवाल उछ्ला।


"कौन बोला? कौन•••," थानेदार की कलई उतर रही थी तो वह तेज गरम होने लगा था।


"सवाल यह नहीं है कि कौन बोला। माँग यह है कि आप त्रिवेणी को अविलंब छोड़ रहे हैं। पदच्युत नहीं ही होना चाहेंगे, उसके समर्थन में जुटी भीड़ का आकलन कर लिजिए। ऐसा ना हो कि दंगा छिड़ जाये।" पत्रकार ने कहा।


"आप थानेदार को धमकी दे रहे हैं।" थानेदार की घिघ्घी बन्धने ही वाली थी।


"धमकी नहीं दे रहा हूँ, सम्भल जाईये, चेता रहा हूँ। दोबारा ऐसा ना हो। अजगर के पेट में नीलगाय का छौना नहीं अटता।" त्रिवेणी को साथ लेकर निकलता पत्रकार ने कहा।

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...