टहटह लाल माँग, कजरा, गजरा, बिन्दी, चूड़ी, पायल, बिछिया, मंगलसूत्र, मन्दिर-महलों के लगभग सभी प्रमुख द्वारस्तंभों पर अंकित सोलह शृंगारों के दृश्य से कुछ ही चीजें कम धारण किए,
बुजुर्गों को और सभी मनपसंद चीजें धूल-धूसरित होने छोड़ जाते हैं, बेटे भी विदा होते हैं••• आधारित पूरी रचना पढ़ते-पढ़ते नायिका फफ़क पड़ी।
"सैलाब लाने की मंशा है क्या? गंगा-जमुना बहा रही हैं•••!" दर्शकदीर्घा में बैठी अपरिचित ने पूछा।
"इनका पति वानप्रस्थ और संन्यास में गुम है। दो पुत्र है, बड़ा विदेश बस गया तो छोटा दूर देश में ही छुप गया है।" परिचित ने कहा।
"दुष्यन्त-शकुन्तला सी किस्मत कम लोगों को मिलती है यानी इनकी गृहणी और मातृत्व में असफल होने की कहानी है।" अपरिचित ने कहा।
"हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती बनने का सफल प्रयास है•••।" परिचित ने कहा।
"आज के युग में भी श्री का अवलम्बन श्रीमती को क्यों चाहिए?" अपरिचित ने कहा।
"आज की पीढ़ी में कहाँ माँग है?" परिचित ने कहा।