"जानती हूँ, मुझे अनुरागी चाहिए था। लेकिन अनुराग लिव इन में रहा जाए तभी साबित हो यह नए शास्त्र के हिसाब से भी सही नहीं है।"
"याद है, मुझे जिलाधिकारी का नियुक्ति पत्र मिलने पर तुमने मुझसे आँगन और कार्यस्थल में से किसी एक का चयन करने को कहा था?"
"मेरी नौकरी जब नहीं रही, तुम्हारे वेतन से ही मकान के लोन को चुकाना, माँ/पापा/दादी के इलाज़ का खर्चों के संग सारे व्यवधान पार लगते रहे।"
"क्या तुम्हें याद है एक समय था, मेरे परिवार वालों के संग तुम बिलकुल रहना नहीं चाहती थी। तुम्हारे हठ के कारण हम अलग रहने लगे थे।"
"हाँ! बिलकुल याद है, वो तो मेरे गम्भीररूप से बिमार पड़ने और उसी काल में जुड़वाँ बच्चों का जन्म। उनके लालन पालन में हमें सहयोग मिलने से सारे रिश्ते सुधरते चले गये।"
"इसलिए हमें समय पर थोड़े धैर्य और सहयोग से काम लेना चाहिए।" दोनों ने एक साथ कहा और खिलखिलाने लगे।
वाह, बहुत ख़ूब
ReplyDeleteबेहतरीन,
ReplyDeleteसंग जरूरी है
ज्वार और भाटा की
एक दूसरे बगैन दोनों व्यर्थ है
सादर नमन
समय से बड़ा शिक्षक नहीं |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत ख़ूब
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