Thursday, 29 September 2022

उऋण

बैताल ने कहना शुरू किया :-

पूरी तरह से उषा का सम्राज्य कायम नहीं हुआ था लेकिन अपनों की भीड़ अरुण देव के घर में उपस्थित थी। मानों निशीथकाल में शहद के छत्ते से छेड़खानी हो गयी हो...।

"आपने ऐसा सोचा तो सोचा कैसे..?"

"सोचा तो सोचा! हमसे साझा क्यों नहीं किया...?"

 भीड़ के प्रश्नों के बौछार से अरुण देव की आँखें गीली होकर धुंधली हो रही थी।

वहाँ रहने के इच्छुक वृद्धजन को अपने अतीत और वर्तमान जीवन की स्थिति एवं परिस्थिति के बारे में उल्लेख कर, एक आवेदन देना था। उसमें अपने पुत्र, पुत्री, पति, पत्नी यानी अन्त समय में संस्कारादि करने वालों के नाम, संपर्क में रहने वाले दो विश्वसनीय रिश्तेदारों के नाम, पता तथा मोबाइल नम्बर आदि विशेष रूप से दर्शाना था। वृद्धजनों को साथ लाने वाले उनके परिजनों को अपने परिचय –पत्र , आधार –कार्ड के साथ वृद्धजन की चिकित्सा–सम्बन्धित रिकॉर्ड भी लाना था।

जिसके कारण वृद्धाश्रम जाना अरुण देव का निर्णय गुप्त नहीं रह गया। रक्त के संबंधी और समाज से कमाएं रिश्तेदार उनके सामने खड़े थे।

"तुमलोग चिन्ता ना करो तुम्हारे बरगद की देखभाल अच्छे से होगी एक चिकित्सक हर तीन दिन में एक बार प्रत्येक वृद्धजन का रक्तचाप,  शुगर –लेवल निरीक्षण कर आवश्यक परामर्श देता रहेगा। विशेष आवश्यकता पड़ने पर वृद्ध महिला के लिए महिला–सेविका/नर्स अथवा महिला–चिकित्सक की सामयिक व्यवस्था भी की जा सकती है।"

"हम आपको वृद्धाश्रम नहीं जाने देंगे। नहीं ही जाने देंगे..," अनेकानेक स्वर गूँज उठे।

"हवा कुछ और बह रही है और हमें दिखलाई कुछ और दे रहा। ऐसा क्यों आप बताइए महाराज विक्रम।"

"बिना फल वाला और उसकी लकड़ी का भी कोई उपयोग नहीं, भले ही पेड़ पुराना और बुड्ढा हो गया हो लेकिन तपती धूप में लोगो को छाँव देता हो, यदि ऐसा पेड़ आस -पास हो तो प्रदूषण और गर्मी से बेहाल नहीं हो सकते। पेड़ों को बचाना उसके प्रति दया दिखाना नहीं है, बल्कि अपने मानव जीवन के प्रति दया दिखाते हैं।

पीपल ,बरगद ,तुलसी ,आवंला ,अशोक आदि अनेक पूजनीय वृक्ष माना जाता है, वैसे ही दादा-दादी, नाना-नानी, माता-पिता, मामा,ताऊ, मौसी, बुआ पूजनीय रिश्ते हैं।" महाराज विक्रम ने कहा।

और फिर बैताल...

Wednesday, 28 September 2022

यूटोपिया


"तू समूचे समाज से जुड़ा हुआ है जिसका एक अनिवार्य अंग मैं भी हूँ। तेरी अतिरिक्त स्वायत्तता के पैरोकार हमारी आपस में दुश्मनी साबित करके तुझको मुझसे दूर रखने में ही तेरी भलाई समझते समझाते हैं। जबकि तू मेरे आगे चलने वाली मशाल है।" राजनीत ने साहित्य से कहा।

"मशाल होते हुए भी तेरे में से भ्रष्टाचार वाले मैले पक्ष को दूर कहाँ कर पाती हूँ।" साहित्य ने कहा।

”तुझमें चाटुकारी वाली बातें दर्ज हो रही हैं। खेमेबाजी में गलत बातों को प्रोत्साहन मिल रहा है।" राजनीत ने कहा।

"ऐसी बात नहीं है।" साहित्य ने कहा।

"अगर ऐसी बात नहीं होती तो क्या कथा में 'पिता का पुत्री से रात्रि में कुत्ता के भौंकने का पूछना' प्रशंसा पा जाता?" राजनीत ने कहा।

Monday, 26 September 2022

परख/जौहरी

महाराज विक्रम ने पेड़ से शव को उतार कंधे पर डाला और शव में छिपे बैताल ने कहना शुरू किया :-

अध्यक्ष महोदय के द्वारा संस्था की एक सौ पाँचवीं वर्षगाँठ के महोत्सव में पूरे देश के विद्वानों को आमंत्रित किया गया।

विभिन्न प्रान्तों से एक सौ पाँच विद्वानों का आगमन हुआ। उनकी वेशभूषा अलग-अलग थी। चूँकि आगंतुक विद्वानों को अपने-अपने प्रान्त की पोशाक पहननी थी।

उनमें से कुछ विद्वानों पर अध्यक्ष की विशेष नजर पड़ी । वे सुरुचिपूर्ण नए वस्त्रों से सुसज्जित थे। अध्यक्ष उनके पहनावे से प्रभावित हुए और उन्हें अपने समीप मंच पर बैठाया ।

कुशल मंच संचालन में विद्वानों के वक्तव्य आरंभ हुए। एक-एक कर विद्वान अपने आलेख पढ़ते और अपने आसन पर जाकर बैठ जाते।

अंत में एक ऐसा विद्वान मंच पर आया जो पुराने वस्त्र पहने हुए था। उसका भाषण सुनकर लोग मुग्ध हो गए। अध्यक्ष भी उसकी विद्वता से बहुत प्रभावित हुए।

अध्यक्ष ने उसका विशेष सम्मान किया। यहाँ तक की अध्यक्ष उसे अपने निजी एकांत कमरे में बैठाया और उसे द्वार तक छोड़ने गए। 

मौका मिलने पर संस्था के सचिव ने पूछा "महोदय अनेक विद्वानों को आपने मंच दिया अपने समीप बैठाया। उन्हें आप छोड़ने द्वार तक नहीं गए लेकिन दूसरे को द्वार तक छोड़ने गए। इसका कोई कारण है क्या? उत्तर आपसे भी चाहिए महाराज विक्रम"

विक्रम ने उत्तर दिया- तुम्हें याद होगा नील में रंगे सियार की कथा..! वैसे भी विद्वान होना किसी के मस्तक पर नहीं लिखा होता है। जिसे पढ़कर उसकी विद्वता की पहचान हो सके। अध्यक्ष ने कुछके सुंदर पहनावे को देखकर उनका मान-सम्मान किया। जब तक कोई व्यक्ति नहीं बोलता तब तक उसके वस्त्रों की चमक-दमक से उसके बड़ा होने का अनुमान लगाया जा सकता है। उन विद्वानों का भाषण साधारण था। लेकिन जब साधारण दिखने वाले विद्वान ने बोलना शुरू किया तो सभी आश्चर्यचकित रह गए। उसकी भाषण शैली गजब की रही होगी । उसके गुणों से अध्यक्ष बहुत अधिक प्रभावित हुआ। जिसकी वजह से जाते समय उसे द्वार तक छोड़ने गया और उसका अभिनंदन किया। आरंभ में उन विद्वानों का अभिनंदन किया गया जो अच्छे वस्त्रों में थे और जाते समय उस विद्वान का अभिनंदन किया गया जो गुणों से परिपूर्ण था।'

बस! बैताल पुन: वापस...

Wednesday, 21 September 2022

वन का वट

गुरु माँ

चरण वन्दन

आपके आशीष वचनों के कवच में घिरा मैं पूर्णतया सुरक्षित हूँ। मैं आपसे ज्यादातर नाराज ही रहा। मुझे लगता था कि आप मुझसे प्यार नहीं करती। सदैव अनुशासन की छड़ी मेरे सर पर लटकती रही। सबसे छोटे मामा की खुशियों का ख्याल ही रखती दिखीं। मामा, आपको माँ का दर्जा देते थे। मामा को नानी का अक्स याद नहीं था।

आपके अनुशासन ने मुझे सैन्य प्रशिक्षण तक पहुँचा दिया लेकिन विद्रोही मन से कमजोर पड़ा तन-मन सफल होने नहीं दे रहा था।

कुछ दिनों के पश्चात् सहभागियों के संग प्रशिक्षक स्तब्ध रह गए जब मैं सफल होना शुरू किया। आप भी जानना चाहेंगी ऐसा क्यों हुआ? बताता हूँ.. एक दिन मैंने देखा, चूजों के साथ पला बाज आकाश में बहुत ऊँचे उड़ता बाज को देखकर भौंचक था। मुँडेर पर उड़ने वाले बाज नहीं होते..!

आकाश में उड़ते बाज की माता ने बिना पँख खुले अपने सगे बच्चे को आकाश के बहुत ऊँचाई पर ले जाकर छोड़ देने की क्रिया की होगी न..! उस सगी माँ को किसी ने सौतेली तो नहीं कहा होगा...!

Thursday, 8 September 2022

विसर्जन

"जब मैं छोटा था तो निसंतान-धनी रिश्ते के नानी के गोद में डाल दिया।

अनुज प्यारे को ताऊ जी, दादा-दादी, आप ताई जी के पास नहीं रहने देना चाहते थे.. उसके बाल बुद्धि में भरते थे कि ताई जी अपने सगे बेटे से प्यार नहीं करती..।

दादी से पैरवी लगाते कि ताऊ जी अनैतिक कार्य करें ताकि आप रिश्वत में धन उगाही कर सकें..ताऊ जी श्रवण पुत रहे।"

"मैंने जो किया तुम्हारे भविष्य को सुरक्षित करने के लिए किया.. क्या गलत किया?"

"मैंने नानी के अंधे प्यार में फँस प्रत्येक कक्षा में असफल रहा और आगे की कक्षा में बढ़ता रहा। नतीजा ना उनका धन मिला और ना मैं शिक्षित हो सका।"

"चिन्ता क्यों करते हो.. मैं हूँ न...।"

"हाँ, आप हैं! चावल से धान उगाने में प्रयासरत। मैं ताई जी के पास जा रहा हूँ...!"

1. मुबश्शिरा — 2. मुबश्शिरा

 01. "क्या दूसरी शादी कर लेने के बारे में नहीं सोच रही हो?" सुई भी गिरती तो शोर गूँज जाता। जैसे आग लगने पर अलार्म बज जाता है। पहली...