"जब मैं छोटा था तो निसंतान-धनी रिश्ते के नानी के गोद में डाल दिया।
अनुज प्यारे को ताऊ जी, दादा-दादी, आप ताई जी के पास नहीं रहने देना चाहते थे.. उसके बाल बुद्धि में भरते थे कि ताई जी अपने सगे बेटे से प्यार नहीं करती..।
दादी से पैरवी लगाते कि ताऊ जी अनैतिक कार्य करें ताकि आप रिश्वत में धन उगाही कर सकें..ताऊ जी श्रवण पुत रहे।"
"मैंने जो किया तुम्हारे भविष्य को सुरक्षित करने के लिए किया.. क्या गलत किया?"
"मैंने नानी के अंधे प्यार में फँस प्रत्येक कक्षा में असफल रहा और आगे की कक्षा में बढ़ता रहा। नतीजा ना उनका धन मिला और ना मैं शिक्षित हो सका।"
"चिन्ता क्यों करते हो.. मैं हूँ न...।"
"हाँ, आप हैं! चावल से धान उगाने में प्रयासरत। मैं ताई जी के पास जा रहा हूँ...!"
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