Saturday, 4 October 2025

समुंदर में तूफ़ान


 मुखबिरों को टाँके लगते हैं {स्निचेस गेट स्टिचेस}

“कचरा का मीनार सज गया।”

“सभी के घरों से इतना-इतना निकलता है, इसलिए तो सागर भरता जा रहा है!”

“बरस भर पर तो आप सफ़ाई भी करवाती हैं।” गोदाम की सफाई करने के बाद सहायक ने कहा।

“तुम हर महीने सफाई क्यों नहीं कर देते हो! साल भर पर भी तुम्हारे पीछे लगना पड़ता है तो होती है यह भी सफाई। मैं अकेली कैसे करूँ! बेटी-बहू होती तो बीच-बीच में होता रहता।”

“आप जैसे भी हैं, बहुत अच्छे से हैं! है न एक और घर जहाँ काम करता हूँ। उनकी बहू के आँखों में जरा पानी नहीं है। सिर्फ़ अपने लिए खाना बनाती है। सास, पति और उसकी बेटी के लिए मैं बनाता हूँ। आपके घर में बेटी-बहू नहीं है तो एक दुःख है! जिनके घरों में बेटी-बहू हैं, भाँति-भाँति की समस्याएँ हैं!”

“सुन! किसी दिन मौक़ा देखकर बहू से कहना कि उसका पति और सास मकान को ठिकाने लगाने वाले हैं…,”

No comments:

Post a Comment

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

समुंदर में तूफ़ान

 मुखबिरों को टाँके लगते हैं {स्निचेस गेट स्टिचेस} “कचरा का मीनार सज गया।” “सभी के घरों से इतना-इतना निकलता है, इसलिए तो सागर भरता जा रहा है!...