Thursday 29 August 2013

सुखद संजोग है ....




ये मुझे मिला Google की तरफ से
Thank U Google .... thank U so much Google

आश्चर्य में हूँ
शुक्रिया धन्यवाद
आभारी भी हूँ

~~~~

देख लो कान्हा
सुखद संजोग है
जन्मे भादों में
मैं - तुम ,इसलिए
मिली रात कारी है
फैला दिल में
उजास ही उजास
मिली बधाई
तुम्हें है तो मुझे भी
कल की बात
रात खुशगवार
बनाई अपनों ने

~~~~~~~


Wednesday 28 August 2013

शुभकामना अष्टमी रोहणी की



5239
पाँच हजार
दो सौ उनचालीस
के हुये कान्हा
जब वे पैदा हुये
आज वही है
तिथि दिन नक्षत्र
कृष्ण जन्म के
हैं परम नियंता
भक्तों के पक्षधर ....

तिथि = अष्टमी
दिन = बुधवार
नक्षत्र = रोहणी

!!
~~

शुभकामना
अष्टमी रोहणी की
जन्मे गोपेश
बलकर वर पा
बहुक्षम ही बनें !!
~~

मूल उद्गम
अतीव आकर्षक
हुई असंख्य
ब्रह्मांडों की सृष्टि
माधव शरीर से
~~

गोपी वल्लभ
हो असुरदमन
ओ बंधू मोरे
~~

गोपी छकाया
वस्त्रपहरकाया
वस्त्र छिपाया
~~

प्रेमप्रतिज्ञ
 सिरमौर्य चढ़ाया
प्रिया चरण
~~

 वध किये तो
मोक्षदाता हैं कृष्ण
शत्रुओं के भी
~~

फ़ेसबूक-ब्लॉग का शुक्रिया .....
~~
आज के ही दिन मेरे पापा के दादा जी की मृत्यु हुई थी …. वे जन्माष्टमी का व्रत करते थे …. रात में फलाहार करने के लिए ,ज्यूँ ही वे आँगन में आये और पीढ़ा (लकड़ी की छोटी चौकी) पर बैठने लगे कि उन्हें सांप काट लिया …. उनदिनों ना तो इलाज की सुविधा थी और मौसम का कहर अलग से ….  उनकी मृत्यु हो गई …. मरते-मरते वे बोले कि आज के बाद इस घर में ,सांप के काटने से किसी की मृत्यु नहीं होगी …. उनका आशीर्वाद कहिये या संजोग ,आज तक मेरे मइके के परिवार में किसी को सांप काटा नहीं है …. लेकिन कृष्ण की पूजा वर्जित हो गई  ….  जन्माष्टमी बंद हो गया ….
नींव बचपन में ही मजबूत होती है ….
शायद इसलिए मैं भक्त नहीं बन सकी और ना गुण गाना आता है ….
लेकिन जानती हूँ ,मन में मेरे कोई खोट नहीं ….  किसी के लिए भी नहीं ….
~~
एक बहेलिया था .... उसका काम था .... उसे आराम कहाँ कि वो हरी भजन करता और अपने किए काम का प्रायश्चित करता .... लेकिन उसे मृत्यु उपरांत स्वर्ग मिला .... क्यूँ कि वो जब एक बार एक पेड़ पर चढ़ कर जाल में पक्षियों के फँसने का इंतजार कर रहा था तो अनजाने में उस पेड़ कि पत्तियां तोड़-तोड़ कर नीचे गिरा रहा था और नीचे में एक शिवलिंग था जिस पर पत्तियां गिर रही थी और वो पेड़ बेल का था और उस दिन शिवरात्र था ....
~~
एक लड़की थी …. उसे दिनभर मेहनत मजदूरी करनी पड़ती थी …. उसे पूजा-पाठ के लिए समय कहाँ मिलता …. लेकिन जब रात में सोने जाती तो कहती ….  हे राम ……  थकी जो होती …… उसके स्वाभाविक शब्द थे …. लेकिन उसके मोक्ष के लिए काफी थे ……

~~
ऐसे हैं हमारे भगवान ……………………. केवल ॐ जानती हूँ और जपती हूँ  ....


Tuesday 27 August 2013

चुनाव का सामूहिक वहिष्कार


चुनाव वहिष्कार का संकुचित अर्थ है
मतदान नहीं करना ....
मेरा आग्रह है ,मतदान होने नहीं देना ....
चुनाव प्रक्रिया में वे जनता भी शामिल होती है .....
जो मतदान करवाने के लिए पेटी ढोते हैं ....
जो मतदान करवाने के लिए एक जगह जमा होते हैं ....
जिनके अनुपस्थित होने पर
जो उन्हें गिरफ्तार करने जाते हैं ....
और सुरक्षा का भार भी ....
जिनके कंधे पर दुनाली भी होता है ,
 सजावट की चीज
बूथ लूटने वालो पर चलती नहीं  ....
गिरफ्तार हुई जनता पर
जो सज़ा सुनाते हैं ....
जो उस सज़ा को अमल में लाते हैं ....
जो सारे वहिष्कार करें तब तो होगा ना
चुनाव का सामूहिक वहिष्कार ….
तब ना पड़ेगा असर चुनाव - आयोग पर
गेंद अभी जनता के पाले में हैं ....
अभी गेंद जनता के पाले में है .... ??
मनवाइये चुनाव आयोग को ....
 बनवाइये एक पार्टी हो केंद्र और राज्य की
खिचा-तान बचे .... राग-तान अलग-अलग ना हो ....
नहीं तो अगला राज किसी बहनोई के साले की ही होगी ....
फिर हम कागज़ काला करने के स्थिति में भी नहीं होगे ....
अभी Central Bureau Of Investigation तोता है
कानून किसी नेता के दामन में फंसी नगरवधू ....
मैं एक ऐसे नेता को निजी तौर पर जानती हूँ ....
जिनकी जिंदगी की शुरुआत किसी के
 गैरेज के किराएदार के रूप में हुई ....
आज वे करोड़पति हैं और कइयों के भ्रष्टपति भी .....
वे ,वो भी किसी के मतदान के वजह से ही .....
देश आज़ाद करवाने के लिए
असहयोग आंदोलन हुआ था ना  ....
शायद नींद तो खुले .....
चुनाव का सामूहिक वहिष्कार
इस बार ,एक बार तो होनी ही चाहिए ....


Monday 26 August 2013

*हाइकू*




आठवें पुत्र
ज आठवें मुहूर्त (आठवें अवतार)
आठ पत्नियां

(कृष्ण ने आठ महिलाओं से विवाह किया- रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा )



वृषाही पद्मा
थे राधिका रमण
वे क्यूँ ना मिले ?
??



पयोमुख थे
पूतना संहार की
वृष्णि वरद

पयोमुख = दुध-मुंहा बच्चा
वृष्णि = यदुवंशी .... वरद = वर देने वाला



रास लीला की
औ लीलाधर बने
कालिंदी तीरे



तजे न लोभ
गोपीनाथ उपाधि
रुद्र को मिली ....




किया विहारी
रुक्मिणी हरण
विशोक किया



मो क्यूँ विसारे
वो कुब्जा उद्धारक
मीरा उबाल



भेज उद्धव
मिटाया ऊहापोह
पिट्टस मिटा

पिट्टस = दुख या शोक से छाती पीटना



प्रकाष्ठा पाया
गोपी उद्धव वार्ता
पिञ्जक हटा

पिञ्जक = आँख का कीचड़ , जिसके कारण साफ नहीं दिखलाई देता है ....



सखा चुकाया
बढ़ाई सखी साड़ी
पट्टी का मोल



माखन चोर
प्रिय कदंब डार औ
मुरली धुन

 

पारिजात ली
गोवर्धन उठा ली
हारे ही इन्द्र



नैया हो पार
जो जन जान जाये
गीता का सार



दीनदयाल
कृपा करो दयालु
कृपानिधान

~~

Sunday 25 August 2013

ये सब समझते हैं




अगर सब सच में परेशान हैं
बदलाव लाना चाहते हैं 
तो 
सामूहिक वहिष्कार करें ना
हम इस बार के चुनाव का 

केवल कागज काला करने से कुछ नहीं होगा 
ये सब समझते हैं ....

चुनाव में आपके मतदान का कोई महत्व नहीं 
जिसकी लाठी उसकी भैंस ही होती 
वही गूंगा-बहरा कठपुतली मिलेगा 
जिसकी डोर एक विदेशी के हाथ में ही होगा ......
ये सब समझते हैं ....

बोलना -लिखना आसान होता है .............
शहीद होना .... कुर्बानी देना ............ ??
कौन बोले 
आ बैल मुझे मार .....
ये सब समझते हैं .....

अगर चुनाव कराना ही है
तो पहले सही आदमी तो चुन लें
न वो पहले से नेता हो और न नेता पुत्र हो
ये सब समझते हैं ....

ऐसा नवयुवक हो जिसे सब
(सब का मतलब सब) पसंद करते हों
चुनाव आयोग ऐसे आदमी को ही चुनाव लड़ने की अनुमति दे
ये सब समझते हैं ....

अभी जो खड़े होते हैं
सांपनाथ हैं या नागनाथ हैं
हम जिसे चुनते हैं या जिसे नहीं चुनते हैं
सरकार बनाने के लिए एक जुट हो ही जाते हैं
ये सब समझते हैं ....

ऐसा नियम हो कि चुनाव परिणाम आने के बाद वे एक नहीं होंगे ....
विवश करें ना चुनाव आयोग को वो कुछ कड़े नियम बनाये ....
क्या आप सही समझते हैं ??

~~

Friday 23 August 2013

BTPS का GM कोठी











ये BTPS का GM कोठी है जहां अभी मेरा निवास स्थान है इस के कैम्पस में धान की खेती से शुरू होती है और सारे फल के पेड़ ,सभी तरह के फूल और सभी तरह के सब्जी के बगान है .... सभी परिवार के सभी (इनके और मेरे भाई-बहन जुटे )सदस्य .... हाइकू इनसे ही जुड़े हुये ....





चखें औ चीखें
करौंदा खट्टा कहाँ
 हैं आँख मिचें....



है प्यारा कौन
गुलाब लिली या मैं
पुछे ये हवा ....



जाऊत मेरा
अचंभित है देख
धान की खेती ....


जाऊत =(देवर का बेटा)



लिली मिली तो
ये मुरझा ना जाये
कैसे बचाऊँ ?



संगी सहेली
खुश सफेद लिली
ख़ुद पहेली ....


Thursday 22 August 2013

कुछ भी तो नहीं ...



सुत को सुता 
बांधे एक सूत से 
सुलग्न जो था 
माँ हो गई हर्षित 
छलछलाई आँखें
~~
ये मेरा सपना था   
~~
जब चारो ओर रक्षा-बंधन का शोर था 
उसी दिन एक तेरह साल की बच्ची 
अपने दो छोटे-छोटे भाइयों के साथ माँ को भी मुखाग्नि दी 
उस पर क्या गुजरा होगा ....
शब्दों में ब्यान करना नामुमकिन है .... 
बहुत सालो के बाद इस बार मैं किसी भाई को राखी न बांध पाई ....
लेकिन उस बच्ची के दुख को समझने का दावा नहीं कर सकती ...
20 अगस्त को राखी के दिन ही मेरी माँ की पुण्य-तिथि थी 
मन विचलित था 
लेकिन उस बच्ची के बारे में सोच कर देखि 
मेरा दुख उसकी तुलना में क्या था 
कुछ भी तो नहीं 



अपने अश्रु रोके हुये गगन को रोते देख रही थी 




तभी मेरा साथ देने आए 



एक अपने साथी से विछुड़ा अकेला भी था .....
दूसरे के आँसू अनुभव कर देखिये अपने कम लगेंगे .....




Sunday 18 August 2013

*(मदर इन लव)*



मेरी अमानत 
मुझे मिली  
जो दूसरे के 
घर में पली
जो मुझे बनाई 
mother in law(मदर इन लॉं) 
But
मुझे रहना है 
mother in love(मदर इन लव)

जो मेरे आस-पास रहेगी पूरी जिंदगी 
उसे विदा नहीं करना होगा पूरी जिंदगी ….

नवीन अनुभूति 
सासु माँ 
शब्दो में बांधा जा सकता है .... ??
(*_*)

मैं माँ बनने का दावा नहीं कर सकती .... कर ही नहीं सकती हूँ .... 
कैसे करूँ .... ना नौ महीनें खून से सींचा .... ना प्रसव वेदना सही .... ना एक रात जग कर बिताई .... ना कभी ख़ुद गीले में सो कर , उसे सूखे में सुलाई ....
कैसे बनू माँ .... माँ जैसी .... ये जो जैसी* है .... हर रिश्ते में मुझे पसंगा लगता है .... और पसंगा कैसे सहज स्वीकार होगा .... 
मदर में दुमछल्ले की तरह लगा लॉं ,रिश्तो को कटुता और असहजता के कठघरे में ला खड़ा करता है  …. जैसे लव में कोई ला नहीं होता है  …. वैसे ही भावनाशून्य और संवेदनहीन लॉं  में रिश्तों की भीनी महक व प्यार की मिठास हो ही नहीं सकती है  …. ऐसा मेरा भी मानना है  
रिश्ते एक-दूसरे का दर्द समझने से बनते हैं .... 
एक दूसरे के प्रति स्नेह और विश्वास से पनपते हैं .... 
आज और अभी से अपने रिश्तों के बीच से लॉं को निकाल कर फेंकने की कोशिश जारी रहेगी .... कोशिश करूंगी कि उसे ये घर अपना लगे .... आज कोई वादा नहीं करती .... समय तैय करेगा कि वो कितनी खुश रह पाती है .... 
बस एक बात कहना चाहूँगी ….
हम छोटे से छोटे बदलावों को लेकर असहिष्णु हो जाते हैं .... इसलिए हम बहुत सी चीजों से अछूते रह जाते हैं .... बदलाव को स्वीकार करना ,मतलब जीवन को नए रंग देना .... जिंदगी तभी मुकम्मल होती है जब रंग-बिरंगी हो .... बदलाव को स्वीकार करना या नकारना बाद की बात है .... पहले हर बदलाव को प्यार करना जरूरी होता है .... क्योंकि बदलाव से ,हमें प्राप्त होती है ,अनुभव की समृद्धि जो सबको नई पहचान देती है .... नए बदलाव से हमारे इर्द-गिर्द बहुत सी चीजें बदल जाती है ,जिन्हें लेकर हमेशा झल्ला जाना ,कुढ़ना - चिढ़ना बेबकूफी होती है .... बेबकूफ कहलाना किसे पसंद ?
जीवन का एक परम उद्देश्य सेवा होना चाहिए .... सेवार्थ होना .... संकल्परहित मन दुखी रहता है .... संकल्प से जुड़ा मन कठिनाइयाँ अनुभव कर सकता है ,परंतु अपने श्रम का फल पाता है .... जब सेवा का संकल्प जीवन का एक मात्र उद्देश्य बन जाता है तो भय दूर होता है मन केंद्रित होता है और एक लक्ष्य मिलता है .... यदि केवल देने और सेवा के लिए जीवन हो तो पाने के लिए ,कुछ बचता ही नहीं है ....
सफलता श्रेयष्ठता की कमी को इंगित करती है .... सफलता यह दर्शाती है कि असफल होने की संभावनाएं भी है .... जो सर्वश्रेष्ठ है वहाँ , असफलता के हारने का प्रश्न ही नहीं .... जब हम अपनी अनंतता को समझते हैं तो तब कोई भी कार्य प्राप्ति या उपलब्धि नहीं होती यदि स्वय को बहुत सफल समझते हैं तो इसका अर्थ है कि हम अपना मूल्यांकन कम कर रहे हैं ...। अपनी प्राप्तियों पर अभिमान करना, स्वयम को छोटा करना है ....  
तब 
दूसरों की सेवा करते समय यह महसूस हो सकता कि हमने पर्याप्त नहीं किया ,पर यह कभी महसूस नहीं होगा कि हम असफल रहे ....
कार्य करना जितना हमें नहीं थकाता उतना कार्य करने का भाव थका देता है .... हमारी सारी प्रतिभाएं दूसरों के लिए है ....
 यदि 
सुरीला गाते हैं .... वह दूसरों के लिए 
स्वादिष्ट भोजन बनाते हैं .... वह दूसरों के लिए 
अच्छी पुस्तक लिखते हैं .... वह दूसरों के पढ़ने के लिए
अच्छे बढ़ई हों  .... तो यह इसलिए कि दूसरों के इस्तेमाल के लिए अच्छी चीजें बना सके 
निपुण सर्जन हों ... तो दूसरों को स्वस्थ्य करने के लिए  
कुशल शिक्षक हों तो वह भी दूसरों के लिए,समाज शिक्षित करने के लिए
 हमारी सारी निपुणताएं दूसरों के लिए है ....

Thursday 15 August 2013

Mrs.GM बरौनी में हूँ ....




Barauni Thermal Power Station (BTPS) 

बहुत पुरानी बात है …. करीब 22-23 साल पहले की बात है ....
मैं ,इनके साथ ,इनके नई-नई नौकरी पर KTPS आई थी .... नौकरी थर्मल-पावर की थी .... थर्मल-पावर की कॉलोनी थी .... कॉलोनी में सभी तरह के स्टाफ थे .... विवाद होने की संभावना ज्यादा थी .... इसलिए केवल इंजीनियर की पत्नी के लिए क्लब खोला गया .... क्लब खोलने के बाद सभी का विचार बना कि कुछ सीखने-सिखाने की व्यवस्था की जाये जिसमें पूरे स्टाफ की पत्नियों , बच्चियों और छोटे-छोटे बेटे को भी आने की अनुमति दी जाये ....

EA = Engineer Assistant 
AEE = Assistant Executive Engineer
EE = Executive Engineer
Superintending Engineer 
Superintending Engineer ही Deputy General Manager 
Chief Engineer ही General Manager 

क़ल्ब में इंजीनियर की पत्नी लोगों का ही दायित्व बना कि जिस समय पेंटिंग-सिलाई-कढ़ाई-स्केचिंग-बांधनी-बाटिक को सिखाया जाएगा तो वे दो ,बारी-बारी से उपस्थित रहेगी .... हमउम्र की बहुत सारी औरतें थीं जिनके पति AEE थे  ….  लेकिन कुछ EE  , कुछ SE , एक DGM की पत्नी और एक GM की पत्नी थी .... Mrs.DGM को लगता कि स्टाफ के पत्नी बच्चों की निगरानी वे क्यूँ करें .... AEE की पत्नी ही सबसे नीचे पोस्ट की औरत है .... वे ही रोज ड्यूटि करे .... वे AE की पत्नी को हिक़ारत की नज़र से भी देखती थीं .... एक दिन मेरे(AEE की पत्नी) साथ उनका ड्यूटि पड़ा .... वे आईं तो मुझे बोली कि आप देखिये मुझे अच्छा नहीं लगता इनलोगों के बीच .... मैं पुछी क्यूँ ? वे बोली :- आप अभी नहीं समझेगी .... मैं बोली :- अभी क्यूँ नहीं समझूँगी (जवानी का खून .... थोड़ा ज्यादा ही  गुस्सा आता था).... वे बोली मैं DGM की पत्नी हूँ .... मुझे अच्छा नहीं लगता बस .... मुझे अच्छा नहीं लगा .... मैं झल्लाते हुये बोली :- मेरे पति AEE या आपके पति DGM हैं .... मैं या आप या ये स्टाफ की पत्नी सिर्फ पत्नी हैं .... आपके पति जब जॉइन किये थे तब एक और पोस्ट हुआ करता था EA .... मेरे पति के जॉइन करते वक़्त उस पोस्ट को खत्म कर दिया गया और एक आगे के पोस्ट AEE पर पोस्टिंग की गई .... इसलिए अगर इस समय आपके पति DGM हैं तो आने वाले वक़्त पर मेरे पति GM बन सकते हैं .... इस लिए दूसरे को हिक़ारत की नज़र से देखना बंद कीजिये और केवल ये याद रखिए कि आप पत्नी हैं खुद DGM नहीं …. जिस समय मेरे पति GM बनेगें … आप देखने के लिए भी नहीं होगीं या ना जाने आप किस स्थिति में होगीं .... उस दिन से मेरा ख़्वाब सा बन गया मेरे पति का GM बनना .... हर घड़ी ,हर पल सोच में ये रहता कि ये GM बने तो थर्मल पावर का ही ....
बिहार के बंटवारा के बाद एक PTPS झारखंड में चला गया .... कुछ साल पहले KPTS ,NTPC को बिहार सरकार के चलते चला गया .... मेरा ख़्वाब देखना बंद हो गया .... क्यूँ कि केवल एक BTPS बिहार में था और ये वहाँ जाएँगे ये उम्मीद नहीं थी .... क्यूँ कि GM का पोस्ट तो मिलता लेकिन BTPS का मिलेगा ये तो हो ही नहीं सकता था .... इनसे ऊपर 3-4 SE थे जो ज्यादा हक़दार थे .... सरकारी नौकरी थी .... लेकिन कहते हैं ना .... कुछ भी असंभव नहीं होता .... बस ख़्वाब में तासीर होनी चाहिए ....
 आज मैं Mrs.GM बरौनी में हूँ .... लेकिन समझ ,मैं अभी भी नहीं पाई ....


खुशी के साथ गर्व है कि मैं झंडोतोलन कर पाई
आते ही विनोद भवन की अध्यक्षा जो बन गई ........



इन्हें टॉफी देने में गर्व हुआ लेकिन उन्हें धन्यवाद भी …. 




ये अपने सहयोगी को संबोधित करते हुए 




आये हैं तो मुंह मीठा करके जाइये 
(*_*)



दुर्वह

“पहले सिर्फ झाड़ू-पोछा करती थी तो महीने में दो-चार दिन नागा कर लिया करती थी। अब अधिकतर घरों में खाना बनाने का भी हो गया है तो..” सहायिका ने ...