Wednesday 26 February 2014

हाइकु { 5 / 7 / 5 }


सिक्के के दो पहलू होते हैं ......
नकारात्मक सोच नहीं रखने के बाद भी
निगाह केवल एक ही पहलू को ही क्यूँ सोचे



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2

चक्की जोहती 
खनकती चूड़ियाँ
दाल दरती ।

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3

हृदय बाग़
तितली या मक्खियाँ 
सोच निर्भर । 

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4

बढ़ती दूरी 
मित्र-प्रीत शुष्कता
बेधते हिय ।

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5

सफाई कर्मी 
आतिथेय वसंत 
पतझड़ है ।

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6

शजर रोता
आवारा पतावर
उदास होता ।

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Saturday 22 February 2014

"फाल्गुनी तांका"



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1

फाग तरंग 
ठंडाई संग भंग 
होली उमंग 
मस्त चढ़ता रंग 
मिष्ट स्वाद के संग 

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2

बैर ना पालो 
रंग में क्लेश घोलो 
तनाव टालो
शरारत नाचता 
मधुमास कहता 

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3

रंगीला मास 
निशा आयु घटती 
दिन उत्तान
छाई एक खुमारी
ऊनी लगते भारी

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4

मदन माया 
कण-कण नहाया
उन्माद आया 
टेसू यौवन छाया
अंतस चहकाया 

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Thursday 20 February 2014

खुशी देते पल


अपने हिस्से का दुःख खुद झेलते हैं
खुशियों को दुसरे का मोहताज़ क्यूँ बनायें 

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मिले तो रोजी 
ना तो मनाए रोजा 
हो ख्वाजा मर्जी ।

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मौन संपदा
रेजगारी बोलना
मान बढ़ाता ।

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उत्साह फीका
है चिल्लर मुस्कान
सांझ बटुआ ।


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लजाई डाल 
गोद में नये पत्र  
कपोल लाल ।

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भविष्य भाँपो 
मकड़ी जाला दौरा
भ्रमित राह ।

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कोमल पौधे
सह जाते हैं आँधी
वृक्ष मरते ।

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रंगीला मास
छेड़े मले गुलाल
रंग रसिया

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Monday 17 February 2014

हाइगा


नदी हो या हो नारी
दोनों की बस यही कहानी

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1



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2

जीव सींचती 
स्थितप्रज्ञ स्त्री धारा 
अंक भींचती ।

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3


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4



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Saturday 15 February 2014

मन चेतक


सब संजो कर रख ली। …....
पता नहीं फिर ऐसा पल मिले कि ना मिले .....


https://www.facebook.com/groups/575kaaryshala/743604982324944/?comment_id=743618045656971&notif_t=like

साहित्यिक मधुशाला - हाइकु कार्यशाला --हाइकू प्रतियोगिता '' मन ''---परिणाम
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समूह के सभी सदस्यों को नमस्कार। हाइकू प्रतियोगिता '' मन ''में आप सभी ने जोरदार प्रदर्शन किया ,सभी को बधाई।कुल 98 प्रविष्ठियां प्राप्त हुई हैं। .बस शतक से थोडा कम।मगर सभी एक से एक जबरदस्त कि निर्णायकों को रिजल्ट बनाने में बहुत दुविधाओं का सामना करना पड़ा.एक हाइकु को सर्वाघिक अंक 36 प्राप्त हुए.जो इस प्रतियोगिता की विजेता हाइकु रही तथा प्रतियोगिता की विजेता हैं ----

विभा श्रीवास्तव जी तथा उनका विजेता हाइकु है --

मन चेतक
नाप लेता गगन
छूता पाताल ।

विभाजी को बहुत बहुत बधाई ,निर्णायकगणों का बहुत बहुत आभार। और अरुण सिंह रुहेला जी तथा रेखा नायक रानो जी का बहुत बहुत आभार तथा उनके जज्बे को नमन।

दुर्वह

“पहले सिर्फ झाड़ू-पोछा करती थी तो महीने में दो-चार दिन नागा कर लिया करती थी। अब अधिकतर घरों में खाना बनाने का भी हो गया है तो..” सहायिका ने ...