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1
फाग तरंग
ठंडाई संग भंग
होली उमंग
मस्त चढ़ता रंग
मिष्ट स्वाद के संग
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2
बैर ना पालो
रंग में क्लेश घोलो
तनाव टालो
शरारत नाचता
मधुमास कहता
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3
रंगीला मास
निशा आयु घटती
दिन उत्तान
छाई एक खुमारी
ऊनी लगते भारी
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4
मदन माया
कण-कण नहाया
उन्माद आया
टेसू यौवन छाया
अंतस चहकाया
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bahut sundar falguni tankaa !
ReplyDeletenew postकिस्मत कहे या ........
New post: शिशु
बहुत सुंदर ....
ReplyDeleteरंग बिखराते शब्द..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (23-02-2014) को " विदा कितने सांसद होंगे असल में" (चर्चा मंच-1532) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय
Deleteसादर प्रणाम _/\_
आभारी हूँ ..... बहुत बहुत धन्यवाद आप का
सादर
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रंगीन...उमंग भरी...
ReplyDeleteसुन्दर रचना |
ReplyDeleteआशा
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर .......होली का स्वागत गान ......सुंदर ताका...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ,चाची जी आपके ब्लॉग पर आकर कुछ ना कुछ नया सीखने को मिलता है
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ताका
ReplyDeleteबहुत बढ़िया....रंग बिखराते शब्द
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