Monday, 17 February 2014

हाइगा


नदी हो या हो नारी
दोनों की बस यही कहानी

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जीव सींचती 
स्थितप्रज्ञ स्त्री धारा 
अंक भींचती ।

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4 comments:

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
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“नगर के कोलाहल से दूर-बहुत दूर आकर, आपको कैसा लग रहा है?” “उन्नत पहाड़, चहुँओर फैली हरियाली, स्वच्छ हवा, उदासी, ऊब को छीजने के प्रयास में है...