Monday, 17 February 2014
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स्फुरदीप्ति
क्या शीर्षक : ‘पूत का पाँव पालने में’ या ‘भंवर’ ज़्यादा सटीक होता? “ज्येष्ठ में शादी के लिए मैं इसलिए तैयार हुआ था कि ‘एक पंथ -दो लक्ष्य’ ब...
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“हाइकु की तरह अनुभव के एक क्षण को वर्तमान काल में दर्शाया गया चित्र लघुकथा है।” यों तो किसी भी विधा को ठीक - ठीक परिभाषित करना ...
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“दीदी अगर डाँटो नहीं तो एक बात कहूँ…” रात के ग्यारह बजे राजू ने कहा। “डाँटने वाली बात होगी तो नहीं डाँटने की बात कैसे कह दूँ? तुमसे डरने लगू...
बहुत ही बढ़िया आंटी
ReplyDeleteसादर
गहन फुहार..
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteबहुत प्रभावी...
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