आज सुबह गुचुरामन में गुजरा.. पोछा का 'डंडा' घुमाते हुए सहायिका ने मेरे फोफले पर नमक छिड़क दी,-"पहिले की तरह रोज-रोज त आप नहीं निकलती होंगी आँटी जी?"
"नहीं.. किसी से भेंट ही नहीं होना है तो कहाँ जाना है..!"
बेटियों की सख़्त हिदायत थी कि मुझे घर से बाहर नहीं निकलना है..। घर में कर्फ्यू लगा ही है... लेकिन लघुकथा की बात हो तो कुछ-कुछ होने लगता है...। मन में था कि आज भीड़ कम होगी.. टीवी पेपर और फेसबुक की खबरें सबको दुबकने में सहायक है.. । शाम 5 बजे से लघुकथा गोष्ठी थी 4 बजे ओला बुक हुआ वो 5 मिनट का दिखाते-दिखाते/शो करते-करते 4:35 में आया। समय पर पहुँच पाना कठिन था... देर से पहुँचना बिलकुल पसन्द नहीं। ओला में बैठते ड्राइवर को ओटीपी बताते उसने पूछा, "कहाँ जाना है?"
"कदमकुआँ!"
"किस रास्ते से चलें?
"ओटीपी से रास्ता का पता नहीं चलता है क्या?" मेरा खिंजा और भन्नाया स्वर थोड़ा तेज निकल गया। अफसोस हुआ कि नहीं होना चाहिए था।
"इतना न ई फ्लाईओवर बन गया है और कई जगहों पर वन वे हो गया है न आँटी जी कि ग्राहक से ही रूट पूछना पड़ता है।"
"मुझे पहले ही आधा घण्टा का देरी हो चुका है जिधर से जल्दी पहुँचा सकें उधर से ले चलिए।"
ड्राइवर का घुमाना शुरू हुआ बेली रोड से स्टेशन, स्टेशन से घुमाते हुए कदमकुआँ।
मंगलवार को हनुमान मन्दिर और महावीर मन्दिर में पट बन्द होना चकित करने वाली बात थी। ड्राइवर से पूछी कि "मन्दिर का पट कब से बन्द है?"
"तीन दिनवा से। कोरोना का भय दिखाकर।"
"पटना के लोग बीमारी की गम्भीरता समझ नहीं रहे हैं। हर जगह भीड़ ही भीड़ और मास्क भी नहीं लगाते।"
"मास्क लगाने से क्या हो जाएगा? आप ही बताइए क्या हो जाएगा?"
"मास्क लगाने से और थोड़ी दूर रहने से बचाव है!"
"अउरी उ रैलियन में, कुम्भ के नहान में भीड़ दिखा आपको?"
"वे सब के सब मूर्ख हैं.. सभी बीमारी फैला रहे तो क्या हम भी वही करें?"
"ई बताइए... दिनभर में हमलोग सौ सवा सौ लोगन के हाथ से पइसा लेते हैं अउरी इहाँ से उहाँ घूमते हैं...,"
"जब इतना ज्ञान है तो बताओ इतनी मौत कहाँ से टीवी पेपर दिखा रहा लाशें दिखा रहा और तो और जलाने की मशीन गल गयी.. जलाने की जगह नहीं बच रही।"
"आँटी जी ई त आप वहाँ जाकर ही देखकर आएँ या किसी बड़ी साजिश का पर्दाफाश हो सका त जनता जागेगी.. ,"
ड्राइवर रॉक विभा रानी श्रीवास्तव शॉक