क्षमा प्राथी हूँ , उन माँ से जिनके बच्चे हैं , मैं उनसे बच्चे छीने नहीं प्यार से पाए है.... :) मैं उनके लिए कुछ भी नहीं की , न तो दिनों का चैन और न तो रातों का नींद खोई हूँ.... :) मैं , बहुत सालों तक डंक सहे है..... :(
(१) एक आखँ के आखँ न और एक बच्चा के बच्चा न कहल जाला.... :(
(२) सुबह , सुबह बाँझ के मुहँ देखल ठीक , एकऊँझ के मुहँ देखल ठीक न..... :(
(३) मरबू त , चार कंधा कहाँ से ले अयबू..... :(
अपने नासूर बने जख्मों को भर रही हूँ.... :):)
अपने नासूर बने जख्मों को भर रही हूँ.... :):)
मुझे इन बच्चों को पाकर लग ही नहीं रहा , कि मुझे एक बेटा है.... :):)
अगर किसी बच्चे को लगे कि ये मेरी गलतफहमी है तो अलग बात है.... :(
" मेरे लिए , चौथे कंधे की तलाश पूरी हो गई..... :) :) "