" बसंत - बसंत - बसंत.... !! "
शोर मचा , क्योंकि मन पगलाया ,
क्यों.... ? मन पगलाया..... !!!!
" क्योंकि "
आमों के पेड़ पर " मंजर " ,
देख , कोयल की पी-कहाँ , पी-कहाँ ,
सुन , मन पगलाया.... !!!!
" क्योंकि "
लगा , इन्तजार है , बारात आने का ,
धरती बनी दुल्हन , पीली चुनरी ओढ़ी ,
देख , हल्दी का रश्म ,सुन शहनाई की धुन , मन पगलाया.... !!!!
" क्योंकि "
" सरस्वती " - पूजा है , नजदीक ,
करनी है , तैयारी , हो न जाए , कोई ,
गलती , सोच- सोच , मन पगलाया.... !!!!
" क्योंकि "
" बसंत - बसंत - बसंत.... !! "
शोर मचा , क्योंकि मन पगलाया.... !!!!
शोर मचा , क्योंकि मन पगलाया ,
क्यों.... ? मन पगलाया..... !!!!
" क्योंकि "
आमों के पेड़ पर " मंजर " ,
देख , कोयल की पी-कहाँ , पी-कहाँ ,
सुन , मन पगलाया.... !!!!
" क्योंकि "
लगा , इन्तजार है , बारात आने का ,
धरती बनी दुल्हन , पीली चुनरी ओढ़ी ,
देख , हल्दी का रश्म ,सुन शहनाई की धुन , मन पगलाया.... !!!!
" क्योंकि "
" सरस्वती " - पूजा है , नजदीक ,
करनी है , तैयारी , हो न जाए , कोई ,
गलती , सोच- सोच , मन पगलाया.... !!!!
" क्योंकि "
" बसंत - बसंत - बसंत.... !! "
शोर मचा , क्योंकि मन पगलाया.... !!!!
शब्द शब्द में बासंती छटा है , और हर्ष है गुलमर्ग सा
ReplyDelete... प्रशंसनीय रचना - बधाई
ReplyDelete:) :) :) :)
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया आंटी!
ReplyDeleteसादर
आपके ब्लॉग पर आ कर बहुत अच्छा लगा |अच्छी रचना बधाई |
ReplyDeleteआशा
शब्दों से खेल कर रची रचना ... अति सुन्दर ...
ReplyDeleteबसंत में मन पगलाता ही है.. कविता अच्छी लगी
ReplyDeleteवसंत के आगमन और स्वागत करती रचना मन को छु गयी |अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई |
ReplyDeleteआशा
बासंती आवरण की बहुत बहुत शुभकामनायें
ReplyDeleteबसंत आया ..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletebahut sundar prastuti..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग में भी पधारें..
मेरी कविता
बेहतरीन रचना...
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