Thursday 22 August 2013

कुछ भी तो नहीं ...



सुत को सुता 
बांधे एक सूत से 
सुलग्न जो था 
माँ हो गई हर्षित 
छलछलाई आँखें
~~
ये मेरा सपना था   
~~
जब चारो ओर रक्षा-बंधन का शोर था 
उसी दिन एक तेरह साल की बच्ची 
अपने दो छोटे-छोटे भाइयों के साथ माँ को भी मुखाग्नि दी 
उस पर क्या गुजरा होगा ....
शब्दों में ब्यान करना नामुमकिन है .... 
बहुत सालो के बाद इस बार मैं किसी भाई को राखी न बांध पाई ....
लेकिन उस बच्ची के दुख को समझने का दावा नहीं कर सकती ...
20 अगस्त को राखी के दिन ही मेरी माँ की पुण्य-तिथि थी 
मन विचलित था 
लेकिन उस बच्ची के बारे में सोच कर देखि 
मेरा दुख उसकी तुलना में क्या था 
कुछ भी तो नहीं 



अपने अश्रु रोके हुये गगन को रोते देख रही थी 




तभी मेरा साथ देने आए 



एक अपने साथी से विछुड़ा अकेला भी था .....
दूसरे के आँसू अनुभव कर देखिये अपने कम लगेंगे .....




18 comments:

  1. ओह!
    आँखें भी बरसती हैं, अम्बर भी बरसता है... दुःख भीतर तक पैठता चला जाता है!

    अपना दुःख सचमुच औरों के दुःख के समक्ष बौना प्रतीत होता है...
    वो गीत है न, दुनिया में कितना गम है, मेरा गम कितना कम है...

    ReplyDelete
  2. बहुत ही प्यारी और भावो को संजोये रचना......

    ReplyDelete
  3. बहुत मर्मस्पर्शी....

    ReplyDelete
  4. बादलों की तरह आँखें भी बरस गयीं दी....

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  5. सही कहीं दूसरों के सामने अपना दुःख कम महसूस होता है.. मर्म स्पर्सी रचना .....

    ReplyDelete
  6. सच में मन की गहराई तक छू गयी

    ReplyDelete
  7. बहुत ही प्यारी और भावो को संजोये रचना.....

    ReplyDelete
  8. मर्म को छू गयी यह पोस्ट

    ReplyDelete
  9. काफी दुख हुआ बच्ची के बारे में जानकार.

    ReplyDelete
  10. kya kahu didi ....aaj ye lines yaad aa gayi....."Duniya mey kitna gum hai mera gum kitna kam hai "

    ReplyDelete
  11. दिल भर आया विभा जी। …इतनी छोटी सी उम्र में इतना बड़ा दुःख कैसे झेलेगी वो ?

    ReplyDelete
  12. मेरा दुख उसकी तुलना में क्या था
    कुछ भी तो नहीं
    बहुत मर्मस्पर्शी... रचना ताई जी

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

काली घटा

“ क्या देशव्यापी ठप हो जाने जाने से निदान मिल जाता है?” रवि ने पूछा! कुछ ही दिनों पहले रवि की माँ बेहद गम्भीररूप से बीमार पड़ी थीं। कुछ दिनो...