"कभी विद्यालय के शिक्षक और छात्राओं के साथ इसे यहाँ आने की अनुमति मिली थी। इसे यह जगह इतनी पसंद आई थी कि इसने अपनी सखियों के सामने कहा कि यह पुन: आएगी। इसके घर में घुमक्कड़ी का किसी को ना तो शौक था और ना इसे बाहर वालों के साथ कहीं जाने की अनुमति मिलती थी। बहुत ज़िद करने के बाद तो इसे यहाँ आने दिया गया था। उसी साल इसके पिता का तबादला उस इलाके से बहुत दूर हो गया। इसके अभियंता पति को यात्रा का शौक तो था, तभी तो यह पूरा देश घूम चुकी है। लेकिन पूरे राज्य को विद्युत बँटवारा करने की जिम्मेदारी होते हुए भी अपने राज्य के इस छोटे से इलाके में इसे लेकर नहीं आ सके, अपनी अति व्यस्तता और राज्य के बाहर यात्रा करवा ही रहे थे। समय गुजरता रहा अपने जेहन में वादों को जीवित रखे साहित्य और समाज के दरिया में उबचुभ करती रही। जब तीसरे भारत-नेपाल साहित्य महोत्सव का स्थल तय होने लगा तो इसे लगा अगर इस सीमांत से सटे नेपाल के इलाके में कार्यक्रम हो तो इसकी इच्छा पूरी हो सकती है। झट से इसने आयोजक महोदय को यहाँ कार्यक्रम करने का सुझाव दे दिया। और वक्त का करिश्मा सुझाव मान भी लिया गया।"
"कौन यकीन करेगा...! जो गोवा, मुंबई, चेन्नई, केरल के समुंद्री उफानों का अवलोकन कर चुकी हो, यहाँ तक सात समुंदर पार बे एरिया का नज़ारा देख चुकी उसके लिए यह पतली सी धारा आकर्षित करने वाली होगी..?"
"बरसों ही तरसी आँखें, जागी है प्यासी रातें
आयी हैं आते-आते होठों पर दिल की बातें"
"आखिरकार तू आ ही गयी...!"
"तू कोशी की मौज, मैं गंगा की धारा ... चले आए मौजों का ले कर सहारा, होकर रहा मिलन हमारा।"
"लगभग पचास साल पहले का किया वादा पूरा कर सकी।"
"हमें लगा था कि पुराने प्रेम का चक्कर..,"
"तुमलोगाें को ऐसा लगना स्वाभाविक ही था क्योंकि यह अकेले यात्रा का विचार प्रकट कर रही थी।"
अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो सारी कायनात उसे तुम से मिलाने में लग जाती है..
हम अपनी सोच के दम पर जो चाहे वो बन सकते हैं। और यह कोई नयी खोज नहीं है, बुद्ध ने भी कहा है “हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है।"
स्वामी विवेकानंद ने भी यही बात इन शब्दों में कही है "हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं। विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।"
अनंत की यात्रा तक संभव है | सुन्दर |
ReplyDelete🙏सच में
Deleteसुंदर अंक
ReplyDeleteअपरिमित सोच
आभार
सादर नमन
वाह ! बहुत खूब
ReplyDeleteशुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार
ReplyDeleteयानि कि बस शिद्दत से चाहना है ।
ReplyDeleteचाहत यदि सच्ची हो तो अवश्य पूरी होती है :)
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति। होली की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteहोली की बधाई
पावन पर्व की अशेष शुभकामनाएं
ReplyDelete1hc2nbvm
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