Saturday, 20 August 2022

चौमासे का गोबर

"बहुत-बहुत बधाई हो! तुम्हें काव्य में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।"

"वो तो मिलना ही था..! बहुत वर्षों से दिन-रात इसके लिए मैं मेहनत कर रहा था...।"

"मुझसे बेहतर और कौन जान सकता था तुम्हारे द्वारा किये गए मेहनत को?"

"क्या अब भी तुम्हें शक़ है? हमारे गाँव में चिकित्सा की स्थिति बहुत बुरी थी। अपने पुरखों के जमीन पर चिकित्सालय बनवाया...,"

"और उसमें तुम्हारे द्वारा लायी चिकित्सक, तुम्हारी पत्नी  बन गयी..?"

"गाँव में शिक्षा की स्थिति सुधारने के लिए मुझे कितनी भाग-दौड़ करनी पड़ी इसके गवाही दोगे न?"

"भाग-दौड़ की गवाही जरूर दूँगा। शिक्षिका के संग तुम्हारे लिव इन का भी तो गवाह हूँ।"

"शहर जैसा गाँव में बाजार, सड़क, बिजली की व्यवस्था करवाने में मेरा जो खून-पसीना बहा उसके बारे में भी तो कुछ कहो...!"

"कितनी कन्या-बालिका-स्त्री-महिला लापता हैं? केंद्र में कौन है? उसके हिसाब के लिए ही तुम कारागार में हो। क्या सदैव कारागार से कृष्ण बाहर आते हैं?"

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प्रघटना

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