वृद्ध दिवस–
कमरों में पसरा
मकड़जाल।
जीवंत वृद्ध से मिलना कोई नहीं चाहता,
पुण्यतिथि की बेसब्री से प्रतीक्षा होती..।
“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...
और मकड़ियां मस्त। सच है।
ReplyDeleteबहुत खूब !!!
ReplyDeleteसही कहा आपने...।जीते जी सेवा करें वृद्धों की
ReplyDeleteपुण्यतिथि की क्या जरूरत।