आज मान्या व मेधा बेहद उत्साहित थीं। उनकी बेटी मेहा के लिए सेना सेवा कोर में स्थायी कमीशन हेतु मंजूरी पत्र उनके हाथों में था और तीनों के नेत्र संगम का दृश्य बनाने में सफल हो रहे थे।
मान्या व मेधा, पहाड़ो पर निवास करने वाले परिवार की बेटियाँ थीं। मान्या से लगभग पंद्रह महीने छोटी मेधा सगी बहन थी। दोनों बहनें सम क्षमता से सम कक्षाओं को उत्तीर्ण करती मल्टीनेशनल कम्पनी में संग-संग कार्यरत थीं। माता-पिता, परिवार–समाज को चौंकाती दोनों बहनें शादी नहीं करने का अटल फैसला सुना दी थी। कम्पनी में शनिवार व रविवार को अवकाश रहने के कारण शुक्रवार की शाम दोनों अपने माता-पिता के पास गाँव चली जातीं और सोमवार को पौ फटने के साथ अपने निवास पर वापस आ जातीं।
स्थिर जल में कंकड़ पड़ने इतना हलचल घर-परिवार-समाज में शोर मचाया, जब उनदोनों के संग एक सहमी कली नजर आने लगी। तरह-तरह के मानुष के तरह-तरह की अटकलबाज़ी लगायी जाती रही..।
सखी सुधा के बहुत वादा करने सौगन्ध खाने के बाद मान्या ने उसे बताया, "दशहरे की छुट्टी में हम दोनों बहनें घर जा रही थी। बलात्कृत रक्त से नहायी अबोध बच्ची हमें मिली। हम उसे लेकर पास के वैद्य के निवास पर गए। उस छुट्टी में हम घर नहीं जा सके।"..
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 25 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteसस्नेहाशीष व अशेष शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार छोटी बहना
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteविजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
और इस तरह मान्या व मेधा ने की नौदेवी की पुनर्स्थापना...बहुत सुंंदर घटना जो न जाने कितनों को प्रेरित करने का कारण बनेगी...विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें विभा जी
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (२६-१०-२०२०) को 'मंसूर कबीर सरीखे सब सूली पे चढ़ाए जाते हैं' (चर्चा अंक- ३८६६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
हर इक कहानी क्या-क्या कह जाती है ...
ReplyDeleteअंतःस्थल को छूती रचना
विजयादशमी की शुभकामनाएं। देवियां यहीं हैं धरती पर कहीं।
ReplyDeleteओह!!!
ReplyDeleteचलो उस बच्ची को माँ दुर्गा की असीम कृपा मिली मान्या और मेधा के रूप में...।
हृदयस्पर्शी लघुकथा