Saturday, 5 June 2021

आक्रोश

 क्या शाम के नाश्ते में मैगी/पास्ता खा लेंगे?

भुजा खिलाओ न ! विदेश चलन मुझे नहीं पचता।

थोड़ा आप भी समझने की कोशिश करें,

अपार्टमेंट निवास मुझे नहीं जँचता।

तालाब पाटकर शजर काटकर

अजायबघर बनाने से मन नहीं भरा।

स्मार्टसिटी बनाने के जुनून में

ओवरब्रिज का जाल बिछा देने का चस्का चढ़ा।

अटल पथ पर बने फुट ब्रिज पर सेल्फी ले आऊँ

आज दिनभर यही सोचती रही,

कैद कमरे में नाखून नोचती रही।

कंक्रीट के जंगल में बिना आँगन,

कुछ फ्लोर में बिना छत का काटती सज़ा,

सूना गलियारा जिन्दगी गुजरे बेमज़ा।

पर्यावरण दिवस की देनी है बधाई

पर किसे और कैसे यह बात समझ में नहीं आयी

किसने पता नहीं... लेकिन जिसने किया वो समाज का घातक ही है.. क्यों कि मन्त्र भारती अपार्टमेंट, पटना में इन्सानों का बसेरा नहीं रह गया है.. बड़े-बड़े चार नीम का पेड़ उखाड़ डाले.. दो पेड़ मेरे फ्लैट के बॉलकोनी से गप्पीयाते थे... जो इन्सान ही नहीं उनसे क्या बात करना... 

बाकी जो है सो है ही..

11 comments:

  1. ऊपर वाले के समझ में जैसे ही आय़ी आदमी पैजामे से बाहर हो चला है भेज दिया वायरस। फ़िर भी पर्यावेरण दिवस की बधाई।

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  2. हर जगह यही हाल है । अब वृक्ष नहीं कंक्रीट के जंगल हैं ।

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  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (6 -6-21) को "...क्योंकि वन्य जीव श्वेत पत्र जारी नहीं कर सकते"(चर्चा अंक- 4088) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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  4. जरा भी नहीं सोचते पेड़ काटने में....जैसे पेड़ों ने ही रोका है स्मार्ट सिटी को....।
    बहुत खूब।

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  5. बेहतरीन रचना

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  6. बहुत सुंदर और गहन लेखन...। खूब बधाई आपको।

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  7. पर्यावरण दिवस सिर्फ़ नारों और साहित्यिक पन्नों तक सीमित हो मानो।
    आक्रोशित अभिव्यक्ति दी।
    सादर।

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  8. सही प्रश्न, कौन है पर्यावरण की बधाई का पात्र???? सच में आक्रोश होना चाहिए इन सब पर। प्रणाम और आभार दीदी 🙏🙏🌷💐💐🌷

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  9. हार्दिक आभार आपका आदरणीया

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