Wednesday, 16 June 2021

"आपदा का अवसर"

 

जब बहुत तेज चिल्लाने की इच्छा होती है

कल्पना लोक में शुतुरमुर्ग हो जाती हूँ

कबीर की बातें, 'भाँति-भाँति के लोग..'

आज के काल में चरितार्थ हो गयी

एक दलाल से भेंट हो गयी..

अनन्त यात्रा के यात्री से

चिकित्सीय सुविधा दिलवाने के बदले

पैसों की मांग रखना, गिद्ध भी शर्माते होंगे

बेहद कटु लिखना चाहती हूँ पर

शब्दों पर भरोसा नहीं होता कि किसे आहत करेगा या किसे आनन्दित

तो क्या करें...

"दीदी! क्या आप डैडी की बीमारी का पोस्ट फेसबुक के किसी समूह में बनाई हैं , जिसमें सम्पर्क सूत्र में मेरा फोन नम्बर दी हैं ?"

"हाँ! कई.. व्हाट्सएप्प समूह और अनेक समाजसेवी को निजी तौर पर भी.. तुम डैडी के पास हो... क्यों क्या हुआ?"

"फेसबुक समूह से किसी का फोन आया। विस्तार से जानकारी लेने के बाद उनसे एक अन्य का फोन नम्बर मिला बात करने के लिए... जब मैं उनको फोन की तो उन्होंने मुझे दलाल को पैसा देने का इंतज़ाम करने के लिए कहा है...।"

 "तुम क्यों नहीं बोली जिसके पास दलाल को देने के लिए पैसा होता तो वो दिल्ली एम्स में इलाज के लिए गुहार क्यों लगाता .. वो मुम्बई नहीं चला जाता..!"

"मेरे पति बाद में बोले कि फोन को रिकॉर्ड कर लेना चाहिए था।"

"उससे क्या हो जाता...! जो दलाल ही है तो सम्बंधित सभी के तोंद को भरे रखता होगा और वैसों के मुँह पर जाबी केवल खाते वक्त के लिए थोड़ी न होता है...।"

हाइकु लेखन पैशन होना चाहिए

लेकिन ज्ञान के लिए अध्ययन जरूरी है

01.पहली भेंट–

प्रिया भाल से आये

कॉफी की गन्ध

02. दोनों से सजे

चापड़ा की दूकान–

पहली वर्षा

4 comments:

  1. जब बहुत तेज चिल्लाने की इच्छा होती है

    कल्पना लोक में शुतुरमुर्ग हो जाती हूँ

    वाह ।

    ReplyDelete

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