लक्ष्मी का अर्थ केवल धन से लगाने में संकुचन.. , आज देर रात्रि सबके सो जाने पर कूड़े के ढ़ेर पर दीया जलाने का प्रचलन है..। अंधेरा हो जाने पर झाड़ू लगाना वर्जित रहा..। यानी कूड़ा को भी लक्ष्मी के रूप में देखा गया... ।
नहीं मानते तो मैं कहाँ लक्ष्मी के सवारी को समझा रही...
सही गलत बताने हेतु वर्ण पिरामिड है...
वर्ण पिरामिड
श्री सौम्यी अत्ययी दीपोत्सव उलूकोदय श्रीहीनासंचयी ग्रस्तोदयाक्षक्रीड़ा।{01.}
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हाँ!
हन्ता
तृषिता
तम रोता
दीप हँसता
बूझो अन्योक्ति
बसता या बसाता।{02.}
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 13
ReplyDeleteनवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका छोटी बहना
Deleteशुभ हो दीपोत्सव।
ReplyDeleteसपरिवार आपके लिए हर पल मंगलकारी हो
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteरूप-चतुर्दशी और धन्वन्तरि जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर प्रणाम
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१४-११-२०२०) को 'दीपों का त्यौहार'(चर्चा अंक- ३८८५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
सस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति..।दीपोत्सव माँगैमय हो apko..।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteदीपोत्सव की असंख्य शुभकामनाएं - - नमन सह।
ReplyDeleteआपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं🌹🍁
ReplyDeleteआपको भी सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं🌹🍁
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