"मअआ! आज इंडियन्स स्टोर में इतनी भीड़ थी कि कुछ मत पूछिए...। स्टोर में इतने समान थे , इतने सामान थे कि मन कर रहा था , सारे के सारे खरीद कर ले आऊँ।" बहुत दिनों के बाद माया बाजार निकली थी और लौट कर बेहद उत्साहित स्वर में बता रही थी।
"तो सारे खरीद लायी क्या... ? मुझे भी लगा था कि तुम ऑफिस के कामों से थकी-हारी बाजार गयी हो तो मिठाई खरीद कर ले आना ही ठीक लगेगा।"
"नहीं माँ! इस बार घर में खुद से ही बनाना है तो खुद से बनाना है। और आप कितना सहज आसान तरीकों से बिना थकावट कैसे काम पूरा किया जा सकता है सीखा रही हैं। वो तो लॉन्ग लाइव मुझे काम देने वाला है।"
"गुलाबजामुन बनाते समय गोली के बीच में इलायचीदाना या मिश्री का दाना या किशमिश डाल देना तो बीच में कड़ा हिस्सा नहीं हो पायेगा..।"
"माँ से ज्ञानों से सीखने के लिए माँ के साथ रहना जरूरी है। फोन कॉल या किसी पुस्तक में यह नहीं मिला करता फुटनोट।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-11-2020) को "गोवर्धन पूजा करो" (चर्चा अंक- 3886 ) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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दीपावली से जुड़े पञ्च पर्वों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteदीपोत्सव की मंगलकामना
सुन्दर। मंगलकामनाएं।
ReplyDeleteहम भी यही करते हैं। मिश्री डालते हैं। :)
ReplyDeleteसच कहा। माओं के पास भंडार होता है शॉर्ट कट का।