हल ज्ञात है तो
समस्या की क्या बिसात है..!
"अरे! वाह्ह.. ! हैलोवीन का बेस्ट घोस्ट बना लिया आपने..!" अपने चेहरे पर सोडियम वेपर लाइट की रौशनी बिखराती हुई उल्लास में उछलती हुई तनया ने ठहाके लगाते हुए आगे कहा,-"पम्पकिन लाना सार्थक हो गया। इसका श्रेय मुझे जाता है।"
"हाँ! हाँ! क्यों नहीं..," व्यंग्यात्मक हँसी उछालता हुआ तनया के पति हितार्थ ने कहा,-"सिर्फ शिलान्यास से ही ताजमहल गिनीज़ बुक में नहीं आ जाता..!
"रात के खाने में क्या बनाने का सोची हो तनया?" तनया की सास सबके लिए दोपहर के भोजन की तैयारी करते हुए पूछा।
"अभी-अभी तो तुम्हारी दुलारी की आँख खुली है माँ । उससे रात के खाने के बारे में पूछकर उसको पानी नहीं पिलाओ।"
"जानती हैं माँ, जब मैं अपनी सहेलियों और महिला सहकर्मियों को बताती हूँ कि तुमलोग जो ससुराल की भयावह तस्वीर प्रस्तुत करती हो या तो सास या बहू बेहद दबंग-खड़ूस या निरीह दयनीय स्थिति में.. -, ऐसा तो मुझे अपने सास-ससुर के साथ या ससुराल में सात-आठ वर्षों के दौरान ना तो कभी देखने में या ना अनुभव में सामने आया। कुछ भी पहन लो, कुछ भी खा लो, कभी सो जाओ, कभी सो कर उठ जाओ। जितना कार्य कर सको उतना ही करो, वे लोग विश्वास ही नहीं करती हैं।"
"मल्लिका-ए-हृदय! मेरी बेगम साहिबा! अस्सी-पच्चासी प्रतिशत घरों में नए सवेरा की प्रतीक्षा आज भी है।"
तनया हितार्थ की बातों को बड़े ध्यान से सुनते हुए कहा,-"माँ में बेस्ट पार्ट क्या है आप जानते हैं-उनमें बचपना मौजूद होना। बच्चे सा उत्साहित रहना, सीखने व सिखलाने के लिए।"
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 01 नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअसीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका..
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteवाह !!! अद्भुत !! लाजवाब सृजन दी!
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteवाह !क्या ख़ूब कहा दी आपने ...
ReplyDeleteसादर
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार 3-11-2020 ) को "बचा लो पर्यावरण" (चर्चा अंक- 3874 ) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बढ़िया, विभा दी।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति विभा दी।
ReplyDeleteकाश ! नया सवेरा सबके लिए होता ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुती मैम... ऐसे ही नया सवेरा सभी के लिये आये।
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