एक रानी मधुमक्खी थी। एक बार वह उड़ती हुई तालाब के ऊपर से जा रही थी। अचानक वह तालाब के पानी में गिर गई। उसके पंख गीले हो गए। अब वह उड़ नही सकती थी। उसकी मृत्यु निश्चित थी। तालाब के पास पेड़ पर एक कबूतर बैठा हुआ था। उसने मधुमक्खी को पानी में डूबते हुए देखा। कबूतर ने पेड़ से एक पत्ता तोड़ा। उसे अपनी चोंच में उठाकर तालाब में मधुमक्खी के पास गिरा दिया। धीरे-धीरे मधुमक्खी उस पत्ते पर चढ़ गई। थोड़ी देर में उसके पंख सूख गये। उसने कबूतर को धन्यवाद दिया। फिर वह उड़ कर दूर चली गई।
कुछ दिनों के बाद उसी कबूतर पर संकट आया। वह पेड़ की डाली पर आँख मूंदकर सो रहा था। तभी एक लड़का गुलेल से उस पर निशाना साध रहा था। कबूतर इस खतरे से अनजान था। मगर मधुमक्खी ने लड़के को निशाना साधते हुए देख लिया। मधुमक्खी उड़कर लड़के के पास पहुँची। उसने लड़के के हाथ में डस लिया। लड़के के हाथ से गुलेल गिर पड़ी। दर्द के मारे वह जोर-जोर से चीखने लगा। लड़के की चीख सुनकर कबूतर जाग उठा। उसने अपनी जान बचाने के लिए मधुमक्खी को धन्यवाद दिया और मजे से उड़ गया।
'कथा पात्र : चिड़िया और मधुमक्खी'
एक पेड़ पर चिड़िया और मधुमक्खियों का पूरा परिवार रहता था। दोनों में बड़ी गहरी मित्रता थी। किसी की क्या मजाल जो इन मधुमक्खियों और चिड़िया को नुकसान पहुँचा जाए?
एक रोज चिड़ियाँ दाना चुगने गई। चिड़िया के अंडे को कौवे नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहे थे । तभी अचानक मधुमक्खियों ने कौवे पर हमला करके डंक मार-मार कर घायल कर दिया और कौवों को भागना पड़ा।
कुछ दिनों के बाद एक दिन मधुमक्खी फूल पर पराग लेने बैठती है । पराग से ही तो मधुमक्खी शहद बनाती है। वो शहद जो हमें बेहद पसन्द आता है। फूल पर मकड़ी भी बैठी होती है जिसके जाल में मधुमक्खी फँस जाती है और वह उड़ नहीं पा रही थी। चिड़िया उसे देखती है और बचाने चली जाती है। चिड़िया मधुमक्खी को मकड़ी के जाल से निकाल देती है।
मधुमक्खी चिड़िया को धन्यवाद देती है और कहती है,-"अगर तुम आज नहीं आती तो मुझे नहीं पता है कि कौन मेरी मदद करता।" "अगर तुमने हमारी मदद उस दिन ना की होती तो हमें भी बहुत परेशानी हो जाती।" चिड़िया कहती है। और मधुमक्खी था चिड़िया साथ-साथ मिलकर खुशी-खुशी रहते हैं।
"पुनः भेंट होगी...!" कथा वाचक ने कहा।
"अभी आपलोग सी ई ओ महोदय से बाल कथाओं का आनन्द ले रहे थे।उम्मीद है आपलोगों को पसन्द आयी होगी..! चिड़िया ‘हनीगाइड’ भी होती है...।" संयोजक महोदया ने कहा। "हम अभी जिस इलाके में हैं उसमें पुनः सब जोख़िम में पड़ गया...।
इस केबिन फोबिया काल में
–आपलोग अपने को कैसे बचाकर रखने में सफल हो रहे हैं ?
–कम्पनी के कार्य करने के साथ-साथ और क्या साकारत्मक यानी आपके कौन से शौक पुरे हुए?
–थैंक्स-गिविंग के समय के लिए क्या-क्या योजनायें हैं ?
वेबिनार में जानने के लिए हमलोग पुनः जुड़ेंगे.., तबतक के लिए विदा..!"
पैतालीस मिनट चले वेबिनार में कम्पनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को बाल कहानियों के रंगीन पुस्तकों के पन्ने पलट-पलटकर कहानी कहते हुए और संयोजक महोदया के गोद में स्थिर बैठे शिशु को देखकर सभी अचंभित थे।
लॉकडाउन–
बिज्जुओं व गिद्धों में
गुत्थमगुत्था।
CEO – Chief Executive Officer
वाह :)
ReplyDeleteवन्दन
Deleteअसीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 20 नवंबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteअसीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
Deleteबहुत सुन्दर और सार्थक।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..।सारगर्भित कहानियाँ..।
ReplyDeleteप्रेरक एवं बहुत रोचक कहानियां...
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