जिस दिन व्योम जी कोई हाइकु पास करते हैं …. लगता है सार्थक हुआ सीखना .....
हँसती बूंदें
बूढी छतरी देख
आस तोड़ती।
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वादों को ढोता
वक़्त कुली बना है
कर्म मजूरी।
2
भू है उदास
आस मेघ पालकी
हवा कहार।
3
दूर है छोर
पर देते हैं पीड़ा
पर क़तर।
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बहुत खुबसूरत हायकू..बधाई विभा..
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति आदरणीय , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - ७ . ७ . २०१४ को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद
ReplyDeleteस्नेहाशीष शुक्रिया .... आभारी हूँ ....
Deleteबहुत ही मानीख़ेज़ हाइकू हैं दीदी!
ReplyDeleteसुन्दर हाइकु, बधाई.
ReplyDeleteसुन्दर उपमान और उपमेय |
ReplyDeleteनई रचना उम्मीदों की डोली !
वाह ... बहुत ही सुन्दर हाइकू हैं सभी ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर हाइकू
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ReplyDeleteअच्छे हाइकू !
ReplyDeleteखूबसूरत हाइकु, सुंदर हाइगा…बधाई स्वीकारें!
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