"कहो ना! हम सुनने ही जुटे हैं। अब सोना ही तो है••"
"गज़ल बेबह्र है काफ़िया भी भगवान भरोसे है"
"चलता है!"
"दोहा में चार चरण कहना है लेकिन चार भाव नहीं है"
"चलता है!"
"मशीनगण से निकला हाइकु है। ना अनुभूति है ना दो बिम्ब है"
"चलता है!"
"लघुकथाओं में ना शीर्षक का सिर-पैर और ना शैली का ओर-छोर, भंग अलग"
"चलता है! क्यों तुम्हारा खून जल रहा और हमारा सर•••"
"कैसे पता चले साहित्य में घुन लगा कि दीमक!"
"पुरानी राह को छोड़कर आगे बढ़ने पर शून्य से शुरू करना पड़ता है। तुम भी सोचो, अथाह संचय को छोड़ना क्या सम्भव है?"
हा हा| _/\_ लेकिन हम लिखना नहीं छोड़ेंगे :)
ReplyDelete🙏😀
Delete☺️☺️☺️🙏
ReplyDeleteहा-हा
ReplyDelete