न तो मैं कवियत्री हूँ और न लेखिका |मन में जब कभी कोई सोच उभरती है , तो आड़े तिरछे लकीरे खीच जाते हैं , और उसे लेकर , आपके सामने आ जाती हूँ | आप से बढ़ कर , परामर्शदाता दूसरा कोई दीखता भी नहीं.... !!
” Indian Engineering Congress “ में हर दो साल पर नए चेहरे से मिलना होता है | पहले साल में परिचय , दुसरे साल में दोस्ती होनी शुरू होती , तभी विछुड्ने का समय आ जाता है.... :)
पिछले दस वर्षों से , मैं “ Indian Engineering Congress “ में शामिल हो रही हूँ | पहले आती थी तो , अपने को भीड़ का हिस्सा बना लेती थी | भीड़ जिधर जाती , मैं उधर ही खिचीं चली जाती|लेकिन इस बार मैं अपने को अलग पाई |शहर- दर्शन तो पहले भी हो चुका था | खरीदारी में कोई दिलचस्पी नहीं थी |महबूब ( मेरा बेटा ) साथ था , इसलिए अकेलापन का कोई सवाल ही नहीं था | मेरे पति तो अपने कार्यकर्म में अति व्यस्त रहे , जो स्वाभाविक था , ( पहले झुझलाहट होती थी , इस बार तो ध्यान ही नहीं गया |) चुपके से , लैपटॉप लेती और आपलोगों के बीच आ जाती |आपलोगों का " लिखा " पढने का " नशा " जो हो गया है |
” Indian Engineering Congress “ में हर दो साल पर नए चेहरे से मिलना होता है | पहले साल में परिचय , दुसरे साल में दोस्ती होनी शुरू होती , तभी विछुड्ने का समय आ जाता है.... :)
पिछले दस वर्षों से , मैं “ Indian Engineering Congress “ में शामिल हो रही हूँ | पहले आती थी तो , अपने को भीड़ का हिस्सा बना लेती थी | भीड़ जिधर जाती , मैं उधर ही खिचीं चली जाती|लेकिन इस बार मैं अपने को अलग पाई |शहर- दर्शन तो पहले भी हो चुका था | खरीदारी में कोई दिलचस्पी नहीं थी |महबूब ( मेरा बेटा ) साथ था , इसलिए अकेलापन का कोई सवाल ही नहीं था | मेरे पति तो अपने कार्यकर्म में अति व्यस्त रहे , जो स्वाभाविक था , ( पहले झुझलाहट होती थी , इस बार तो ध्यान ही नहीं गया |) चुपके से , लैपटॉप लेती और आपलोगों के बीच आ जाती |आपलोगों का " लिखा " पढने का " नशा " जो हो गया है |
नशा , इश्क का ,
नशा , शराब का ,
नशा , खूबसूरती का ,
नशा , उच्चे पद का ,
नशा , एकत्रित धन का ,
नशा , इबादत " रब " का ,
मेरा नशा.... ?
अच्छा या बुरा.... ?
समझ में नहीं आरहा.... तलाश , सिर्फ तलाश जारी है....
नशा , शराब का ,
नशा , खूबसूरती का ,
नशा , उच्चे पद का ,
नशा , एकत्रित धन का ,
नशा , इबादत " रब " का ,
मेरा नशा.... ?
अच्छा या बुरा.... ?
समझ में नहीं आरहा.... तलाश , सिर्फ तलाश जारी है....
खुद को पा लेने का नशा ही बेहतर है . पा लीजिये तो ही यात्रा शुरू होती है और बाकी नशे समझ में आने लगते हैं ...
ReplyDeleteVibha ji...
ReplyDeleteJeevan saara beet hai jaata...
Nasha sada hi rahta hai..
Pad, gaurav, santaan, adambar..
Ahan sang main rahta hai...
Koi kitna tajna chahe...
Par na nasha kabhi kam ho...
Nasha bhul sa jata usko..
Eshwar se hai judta jo...
Sundar ahsaas...
Kabhi humare ghar bhi aayen...
www.deepakjyoti.blogspot.com
shubh divas...
Deepak Shukla..
बहुत बढि़या।
ReplyDeleteयह नशा भी अजीब है , बहुत खूब
ReplyDeleteहर नशे का अपना अलग ही आलम होता है...बहुत बढि़या।
ReplyDeleteहम सभी लोग इसी नशे में डूबे रहते है,इसमें शकुन बहुत मिलता है...
ReplyDeleteबहुत सुंदर,.......
"काव्यान्जलि"--नई पोस्ट--"बेटी और पेड़"--
पढ़ना और लिखना सबसे अच्छा नशा है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति,
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति बेहतरीन विचार ,.....
ReplyDeleteनया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....
मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--
तलाश करने का नशा सुरूर बन छाया रहता है ... अच्छी भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteachcha nasha hai likhne ka...
ReplyDeletebahut khoob..............aisa nasha karne ka alag hi maja hai ....likhna -padana .........anand mayi nasha .
ReplyDeletebadhai Vibha ji ....Nashe ke bagair jeevan adhura adhura sa rahata hai .... bs Nasha ki prakriti sakaratmak honi chahiye ... aur apka nasha to kya kahane ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..
ReplyDeletebahut sundar.........aisa nasha karne ka alag hi maja hai...keep it up...!
ReplyDeleteabhaasi duniyaa ke mitron ke bich rahane ka nashaa achchha hai
ReplyDelete🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका
नशा , इश्क का ,
ReplyDeleteनशा , शराब का ,
नशा , खूबसूरती का ,
नशा , उच्चे पद का ,
नशा , एकत्रित धन का ,
नशा , इबादत " रब " का ,
मेरा नशा.... ?
सादर नमन
आपलोगों का " लिखा " पढने का " नशा " जो हो गया है |.. मन के बहुत ही सरस भाव । होली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐
ReplyDeleteमानसिक स्वास्थ्य का सुंदर आभार है ये नशा बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteनशा ही है सब. अपना अपना बस .
ReplyDeleteप्रिय दीदी,ये नशा ही सृजन का मूल है।साहित्य के प्रति आपकी लगन और मेहनत ब्लॉग जगत के लिए प्रेरक है ।अपने मन की बात को बडी विनम्रता के साथ लिखा है आपने। इस नशे के बिना सृजन सम्भव ही नहीं।ये एक मौन तप है।
ReplyDeleteहोली की बधाई और शुभकामनाएं स्वीकार करें।♥️♥️🙏
बहुत खूब दी..बेहतरीन अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसप्रेम प्रणाम दी।
सादर।
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा दी,जब तक किसी काम का नशा ना हो तब तक ना सफलता मिलती है और ना ही जीने का मजा।
होली की हार्दिक शुभकामनायें आपको
ये नशा सबसे ऊपर है और सर्वश्रेष्ठ भी😊
ReplyDeleteपढ़ने का नशा तो सबसे अच्छा नशा है।
ReplyDeleteदेवेन्द्र पाण्डेय।
Delete