“भाभी घर में राम का विरोध करती हैं और बाहर के कार्यक्रम में राम भक्ति पर कविता सुनाती हैं !” अट्टाहास करते हुए देवर ने कहा।
“ना तो मैं घर में राम का विरोध करती हूँ और ना बाहर राम भक्ति की कविता पढ़ती हूँ। आप पुनः चुग़ली में सिद्ध होने की कोशिश कर रहे हैं..,” भाभी ने कहा।
“अख़बार में जो लिखा है सारी दुनिया तो वही मानेगी…” देवर ने कहा।
“आज की दुनिया फेसबुक ब्लॉग ट्विटर पर भी है जहाँ और घर में राम विग्रह में हो रहे आडम्बर पर सवाल करती हूँ! आज एक सवाल आपसे से भी जब सीता की अग्नि परीक्षा हो चुकी थी तो साक्षी देवर भाभी को वन में छोड़ने क्यों गए, जैसे किसी भी मामूली बात से कलह में भी आप मेरे मायके चले जाते रहे मेरे पिता-भाई को बुलाकर लाने….,” भाभी ने पूछा।
“भाई से मिले आज्ञा का पालन करना था और राम को अपना राजा पक्ष को प्रबल करना था…! मैं आपके पिता भाई को अनेकों बार बुलाकर लाया लेकिन आप एक बार भी गयीं नहीं न?”देवर ने कहा।
“बोगनविलिया जो होना था, वैसे भी सीता की तरह जाकर नहीं लौटना कहाँ सम्भव था…!”