जब ढ़ाई साल का था तब खड़ा नहीं होता था ......
जब पाँच साल का था तब शब्द बोलता नहीं था .....
प्रत्येक वस्तु के लिए उसका अपना शब्द होता था ....
जैसे ~ ~ ~ ~ ~
सब्जी के लिए पच्ची -----
सब्जी के लिए पच्ची -----
चप्पल के लिए पच्चल -----
गंजी और कंघी के लिए चांदी -----
जब कभी उसे सही बोलने के लिए बोला जाता ....
या ~ ~ ~ ~ ~ ~
या ~ ~ ~ ~ ~ ~
तो वो चुप रहता ....
या ~ ~ ~ ~ ~ ~
सही शब्द सिखलाने वाला मुर्ख है ,
साफ-साफ उसके चेहरे पर लिखा होता
या ~ ~ ~ ~ ~ ~
साफ-साफ उसके चेहरे पर लिखा होता
या ~ ~ ~ ~ ~ ~
बड़े आत्मविश्वास के साथ बोलता ----
आउल बेदे आई ना ( राहुल को बोलने नहीं आता ) ..... !!!!
लेकिन आज हिंदी-अंग्रेजी में भाषण दे लेता है ..... !!!!
उसकी छोटी सी भी उपलब्धि मुझे बहुत ख़ुशी देता है ..... !!!!
आउल बेदे आई ना सपना सा लगता है ..... !!!!
आउल बेदे आई ना ( राहुल को बोलने नहीं आता ) ..... !!!!
लेकिन आज हिंदी-अंग्रेजी में भाषण दे लेता है ..... !!!!
उसकी छोटी सी भी उपलब्धि मुझे बहुत ख़ुशी देता है ..... !!!!
आउल बेदे आई ना सपना सा लगता है ..... !!!!
बेटे की उपलब्धि ही माँ का सबसे बड़ा सपना होता है,,,,बहुत२ बधाई,,,,
ReplyDeleteRECENT POST LINK...: खता,,,
धीरज और प्रयास रंग लाते ही हैं ...
ReplyDeleteआपकी ख़ुशी समझी जा सकती है !
वही सपना तो आपके चेहरे पर सा चमक रहा है
ReplyDeletesuryoday kee tarah chamak raha hai
ReplyDeleteहर माँ का यही सपना होता है,,,,
ReplyDeleteRECENT POST : समय की पुकार है,
बहुत बहुत बधाई आपको ...
ReplyDeleteबड़ा प्यारा बीटा है ....!!
Thank U .... Thank U so much .... !!
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई भैया को ।
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर .... बधाई
ReplyDeletevatsalya nirikshan.
ReplyDelete