Wednesday 11 September 2013

"पहाड़ "




छु लो गगन
भरों आत्मविश्वास
शृंग अंग से
~~2
संत्रास हँसे
सैलाब आ ही जाये
शाल जो मिटे .....    शाल = वृक्ष
~~3
शृंग विहसे
आँधियों के आँचल
काँख फंसाये
~~4
क्षितिज पर
शृंग बांधा हो साफा
सूर्यास्त हुआ ....
 ~~5
 मुंह का खाया
ईच्छा पहाड़ जैसी
श्रमहीन था ....
~~6
सूत कात लें
शृंग कंधे बादल
कपास लगे....
~~7
पहाड़ी भाल
है तनाव मिटाता
छू ले जो गाल
~~8
विस्तृत धान्य(संपदा)
उलीचना जानता
उदार शृंग
~~9
हुई व्यथित 
जुदा रह न सकी
है चन्द्रस्नाता 
~~
Clipart Gif animé lettre v

15 comments:

  1. वाह चाची जी ....चलते फिरते पहाड़ों के साथ ...."संत्रास हँसे
    सैलाब आ ही जाये....शाल जो मिटे ..... "भविष्य के प्रति व्याकुल रचना ......सुंदर मतलब ये कि बहुत ही सुंदर |

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  2. बहुत सुन्दर हायकू हैं दी...
    सादर
    अनु

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  3. sundar haykoo .photo to bahut jandaar hain bahut der tak photo hi dekhti rahi

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  4. अति सुन्दर. पहाड़ों की तरह ही ताजगी देता हुआ.

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  5. बहुत ही सुंदर हाइकू ............

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  6. पहाड़ों के इर्द गिर्द लिखे सुन्दर हाइकू ...

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  7. यह विधा विशुद्ध साहित्यिक परिधान ओढ़ बैठी है, आपकी इस रचना में।

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  8. Aha...bhut sundar .arth bta kr achha kiya samajne me bhut asaani hui aur aanand bhi aya

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  9. खुबसूरत अभिवयक्ति.....

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  10. सुंदर लेखन ,बखूबी से बयाँ करते सुंदर हायकू |

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  11. बहुत खुबसूरत हाइकू !!

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  12. सुंदर तस्वीरों के साथ बहुत ही सुंदर हाइकू .....

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