Sunday 6 March 2016

कन्या स्त्री नारी महिला




तनी ठहरीं ना .... हमरो ठोक लेबे दीं ..... दिन में हमरा मारले रहले हां ..... इतना कहते हुए ,रजाई में लिपट सोये बड़े भाई को मुक्के मुक्के पिट हंसते हुए बहन संतोष कर लेती थी .... दोनों भाई बहन एक पीठिया थे और दोनों में पटता नहीं था .... ये बचपन की बातें थी .... लेकिन जब बहन बड़ी हुई और उसकी शादी हुई तो कई बार पति के हाथों पिटी .... लेकिन भाई की तरह पति को क्यूँ नहीं पिटने का सोची .... पति परमेश्वर की घुट्टी पिलाई गई थी ..... असहनीय अशोभनीय बातें तब तक सहती रही जब तक सहनशक्ति जबाब नहीं दे दिया ..... एक दिन बिफर ही पड़ी और चिल्लाई .... खाने में जहर दे .... सबको मार कर , घर में आग लगा दूंगी .... सब स्तब्ध रहे ..... पिटने का अंत हुआ ..... धीरे धीरे खुद के लिए लड़ना सीख गई और आत्मसम्मान से जीने की कोशिश करने लगी .... 

1
कूटे शरीर
*पी नशेड़ी , कुपूत
पले स्त्री बेच
*पी=पति
2
धी भ्रूण हन्ता
माँ बाप ना हों आप
दें सम हक़ 

सब में एक कॉमन बात ये हैं कि स्त्रियों की जिम्मेदारी ज्यादा है ,खुद के हालात के लिए ....

महिला दिवस की शुभकामनायें 
केवल एक दिन के लिए नहीं
 सालो साल के लिए होनी चाहिये ..

एक दिन का नहीं हो उत्सव
हर दिन का हो उत्साह हो

लड़ाई पुरुष वर्ग से नहीं
 ये लड़ाई अपने आप से होनीं चाहिये
सबकी सहमति होनी चाहिए


4 comments:

  1. सस्नेहाशीष शुक्रिया छोटी बहना
    आभारी हूँ

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " बंजारा " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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अनुभव के क्षण : हाइकु —

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