
"इतने सारे बिस्कुट के पैकेट! क्या करेगा मानव ?" विभा अपनी पड़ोसन रोमा से पूछ बैठी ।
"क्या बताऊँ विभा! अचानक से खर्च बढ़ा दिया है, बिस्कुट के संग दूध , रोटी , मांस खिलाता है । मेरा बेटा नालायक समझता ही नहीं , महंगाई इसे क्या समझ में आयेगा! सड़क से उठाकर लाया है, एक पिल्ले को ।"
"क्या ! सच!"
"हाँ आंटी! कल मैं जब स्कूल से लौट रहा था तो एक पिल्ला लहूलुहान सड़क पर मिला, उसे मैं अपने घर नहीं लाता तो कहाँ ले जाता ? ना जाने किस निर्दई ने अपनी गलती को सुधारना भी नहीं चाहा । माँ मेरी बहुत नाराज़ है , लेकिन यूँ इस हालत में इसे सड़क पर कैसे छोड़ सकता था मैं ?"
शाम के समय, विभा अपने घर के बाहर टहल रही थी तो पड़ोसन का कुत्ता उसकी साड़ी को अपने मुँह में दबाये बार-बार कहीं चलने का इशारा कर रहा था... वर्षों से विभा इस कुत्ते से चिढ़ती आई थी क्यूंकि उसे कुत्ता पसंद नहीं था और हमेशा उसके दरवाजे पर मिलता उसे खुद के घर आने-जाने में परेशानी होती... अपार्टमेंट का घर सबके दरवाजे सटे-सटे... जब विभा कुत्ते के पीछे-पीछे तो देखी रोमा बेहोश पड़ी थी इसलिए कुत्ता विभा को खींच कर वहाँ ले आया था... डॉक्टर को आने के लिए फोन कर, पानी का छींटा डाल रीमा को होश में लाने की कोशिश करती विभा को अतीत की बातें याद आने लगी
"कर्ज चुका रहे हो" कुत्ते के सर को सहलाते विभा बोल उठी।"
शुभ प्रभात दीदी
ReplyDeleteसादर नमन
मैं इसे लघुकथा न कहकर
जीवन का सत्य कहँगी
सादर
सस्नेहाशीष छोटी बहना
Deleteकल्पना करना नहीं आता न
दिनांक 30/06/2017 को...
ReplyDeleteआप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी इस चर्चा में सादर आमंत्रित हैं...
आप की प्रतीक्षा रहेगी...
आभारी हूँ
Deleteसहज मानवीय संवेदनाएं समेटे हुए यह लघुकथा पशुप्रेम और जीवन में उसकी उपयोगिता एवं गाली बन चुके शब्द "कुत्ते " की वफ़ादारी और समझ को सहजता से प्रस्तुत करती है। आदरणीय विभा दीदी के जीवन का वास्तविक प्रसंग लगता है।
ReplyDeleteयही सत्य है जो नजर आता है हम कोशिश भी नहीं करते हैं कोई समझा जाता है।
ReplyDeleteवफादारी की मिसाल ! प्रेरक प्रसंग ।
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’सांख्यिकी दिवस और पीसी महालनोबिस - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteमानवीय संवेदनाओं को समेटे सुन्दर लघु कथा ...
ReplyDeleteविचारणीय बात लिए कथा ... कम शब्दों में सार्थक बात कही
ReplyDeleteयादों को सेल्फ में करीने से लगाती हैं आप
ReplyDelete"क्या बताऊँ विभा! अचानक से खर्च बढ़ा दिया है, बिस्कुट के संग दूध
ReplyDeleteवफादारी की मिसाल सुन्दर लघु कथा :)
संस्मरण को बड़ी सादगी से रोचक बना दिया आपने !
ReplyDeleteसंस्मरण को बड़ी सादगी से रोचक बना दिया आपने !
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ReplyDeleteजीवन का सत्य उजागर करती सुंदर रचना
ReplyDeleteसंवेदनाओं की लहर में गोते लगाते बेहतरीन रचना ,पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ बड़ा अच्छा लगा रचनाएँ पढ़कर ,कभी वक्त मिले तो मेरे ब्लॉग https://shayarikhanidilse.blogspot.com/
ReplyDeleteपर भी आइएगा ....