Friday 24 May 2024

पनीर-दो-प्याजा-तृप्ति

 बुचिया— “बहुते परेशान नज़र आ रही हैं अम्मू, का बात हो गयी?”

अम्मू— “एक बेटी को कुम्हार से और एक बेटी को किसान से शादी कर पिता..,”

बुचिया— यह कहानी बहुते बार की पढ़ी-सुनी पुरानी है इससे आपकी आज की परेशानी का क्या सम्बन्ध?”

अम्मू— जिसकी दोनों आँखों से दो बेटों में से एक लेखक और एक प्रकाशक हो जाए… किसके लिये माँगे दुआ -किसके लिए माँगे ख़ैर…!”

बुचिया— “ ठहरिए! ठहरिए! आप विस्तार से पूरी कहानी सुनाइए उसके पहले मुझे पनीर-दो-प्याजा बनाना विस्तार से समझा दीजिए! मैं पनीर दो-प्याजा बनाने के क्रम में आपके आँखों से बेटों की कहानी और आपकी परेशानी समझने का प्रयास करूँगी…! एक पंथ दो काज़!”

अम्मू—“यह भी अच्छा है! हमदोनों के मुँह से, पनीर का नाम सुनते ही पानी टपकने ही वाला है, टपक जाये उसके पहले, चलो पहले कॉपी-कलम निकालो और सामग्री दर्ज कर लो। जैसा कि इसके नाम से ही साफ हो जाता है कि यह भोज्य व्यंजन पनीर और प्याज का संयोजन (कॉम्बिनेशन) होती है। शाकाहारियों को पनीर दो प्याजा की सब्जी बहुत पसन्द आती है।

पनीर दो प्याजा बनाने के लिए सामग्री :पनीर – 250 ग्राम, प्याज – 2

यहाँ दो (2) प्याज, पनीर के अनुपात में है तुम्हें एक बात बताऊँ! लगभग पाँच वर्ष पहले तक मेरी उलझन थी कि मुर्ग -दो-प्याजा, आलू -दो-प्याजा, पनीर-दो-प्याजा, मांस-दो-प्याजा जब बड़े परिवार में बनता होगा, जहाँ अधिक संख्या में लोग रहते होंगे तो उनके लिए अधिक मात्रा में बनायी सब्जी, मुर्ग में दो प्याज से कैसे काम चलता होगा!

गाढ़ा दही – 2 बड़े चम्मच, बेसन/कोर्नफ्लोर/मैदा (जो रुचिकर उपलब्ध हो), – 1 बड़े चम्मच, जीरा – 1 छोटा चम्मच, पिसा हुआ टमाटर (प्यूरी) – 1 कप, लालमिर्च पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच, धनिया पाउडर – 1 छोटा चम्मच, हल्दी – 1/4 छोटा चम्मच, गरम मसाला – 1/2 छोटा चम्मच, कसूरी मेथी – 1 छोटा चम्मच, अदरक-लहसुन पेस्ट – 1 छोटा चम्मच, तेजपत्ता – 1, दालचीनी – 1 टुकड़ा, हरी इलायची – 2, हरी मिर्च – 2, तेल – 3 बड़े चम्मच, नमक – स्वादानुसार

पनीर दो प्याजा बनाने की विधि :पनीर दो प्याजा बनाने के लिए सबसे पहले एक बाउल लेना और उसमें दही डालकर अच्छे से फेंट लेना फेंटे दही में लाल मिर्च पाउडर, हल्दी, धनिया पाउडर और गरम मसाला डालकर अच्छे से मिला लेनाइसके बाद उसमें में कसूरी मेथी, बेसन और स्वादानुसार नमक डाल लेना और मिश्रण को अच्छे से मिलाकर फेंट लेना अब पनीर लेना और उसको छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लेना पनीर के इन टुकड़ों को दही के मिश्रण में डालकर अच्छे से मिलाकर कुछ देर के लिए रखना होगा जिसे मैरिनेट करना कहते हैं उसके लिए बाउल को 10 मिनट के लिए अलग रख देना होगा...

अब एक गरम कड़ाही (नॉनस्टिक पैन हो तो बेहतर) में 1 बड़ा चम्मच तेल डालकर मध्यम आँच पर गर्म करना होगा जब तेल गर्म हो जाए तो इसमें मैरिनेट किया हुआ पनीर डालकर 2 से 3 मिनट तक तलना होगाअब तले पनीर को एक अलग प्लेट में निकालकर कर रख लेना होगा (अगर कोई चाहें तो कच्चे पनीर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं...) अब कड़ाही में दोबारा तेल डाल और मध्यम आँच पर गर्म कर, इसमें एक बारीक-बारीक़ कटा प्याज, जीरा, तेज पत्ता, दालचीनी और हरी इलायची डालकर करछी की मदद से मिलाते हुए भूनना होगा अब इस भूने मसालों में थोड़े बड़े टुकड़े में कटे हुए दूसरा प्याज डालकर इसे 4 से 5 मिनट तक पकने देना। इस तरह बनाए जब प्याज का रंग सुनहरा हो जाए तो उसमें एक चम्मच अदरक-लहसुन का पेस्ट डालकर मिला देना और पकाना। जब प्याज सुनहला भूरा दिखने लगे तो गैस धीमी कर देना और उसमें सूखे मसाले डालकर अच्छे से मिला लेना. इसके बाद इसमें टमाटर प्यूरी डालकर मध्यम आँच पर 3-4 मिनट तक और पकने देना अब इसमें स्वादानुसार (कुशल गृहिणी को परिवार के लोगों के स्वादानुसार का अंदाज पता होता है) नमक मिला देना इसे तबतक पकाना होता है जबतक रस्सा (ग्रेवी) तेल न छोड़ देग्रेवी जब गाढ़ी हो जाए तो उसमें मेरिनेट तला पनीर के टुकड़े (क्यूब्स) डाल देना और एक से दो मिनट तक और पकने देना। अगर कोई चाहें तो इस सब्जी में मटर, शिमला मिर्च के बड़े-बड़े टुकड़े कर भी डाल सकते हैं इस तरह किसी समय के भोजन के लिए विशेष (स्पेशल-स्पेशल) पनीर-दो-प्याजा बनकर तैयार हो चुका होगा इसे तंदूरी रोटी या फिर लच्छा पराठा के साथ परोस किसी का दिल जीत लेना... लेकिन इते श्रम करने वाले/वाली का दिल कोई कैसे जीते...! तुम्हारी स्वादिष्ट लजीज़ पनीर दो प्याज़ा की सब्जी बनकर तैयार हो चुकी होगी.... उसके बाद क्या करें...!"

बुचिया :- जबतक सभी सामग्री जुटाती हूँ और बनाने का प्रयास करती हूँ तबतक आप लेखक-प्रकाशक-प्रकाशन अपने आँखों से बेटों की कहानी सुनाएँ..."
तृप्ति —विभा रानी श्रीवास्तव, पटना
इतिहास अनेक बार बदले जाते हैं : सूर्य-चन्द्र को भी ग्रहण का सामना करना पड़ जाता है : हार को जीत में बदल देने का प्रयास शुरू करना ही जीत है… ऐसी ही प्रयास है कवि प्रभास सिंह की पुस्तक ‘अंतरंगानुभूति’! जी हाँ! प्रभास सिंह के पुस्तक का नाम *’अंतरंगानुभूति’* रखा गया है और लेख्य-मंजूषा से जितनी भी प्रति (पता नहीं है कितनी प्रति) क्रय होगी उसी आधार पर (यानी मुफ़्त : कभी-कभी घोड़ा घास से यारी कर लेता है) राहुल शिवाय प्रकाशित करने का सहयोग कर रहे हैं! ऋग्वेद के पहले मंडल में दो पक्षियों की कथा है। सुपर्ण पक्षी। दोनों एक ही डाल पर बैठे हैं। एक अमृत फल खाता है। दूसरा उसे फल खाते देखता है और प्रसन्न होता है। जितनी तृप्ति पहले पक्षी को फल खाने से मिल रही है, उतनी ही तृप्ति दूसरे को उसे फल खाते देखने से मिल रही है। दोनों के पास तृप्ति है — एक के पास खाने की तृप्ति, दूसरे के पास पहले को खाता देखने की तृप्ति। इसे ‘द्वा सुपर्णा सयुजा सखायौ’ कहा गया है। यही 'सख्य' भाव है- यानी सखा होने का भाव, मित्रता का भाव ! यही जीवन का सख्य है। यही प्रेम का सख्य है। यही साहित्य में लेखक-पाठक का सख्य है। पहले की तृप्ति दूसरे के लिए आनंद का कारण बन जाए। भारतीय दर्शन परंपरा के अंतर्गत यही 'साक्षी भाव' भी है। ©️गीत चतुर्वेदी प्रभास सिंह लेख्य-मंजूषा से कब जुड़े-कैसे जुड़े मुझे याद नहीं पड़ रहा है, लेकिन मैं (लेख्य-मंजूषा की अध्यक्ष) जब सन् २०१९ के दिसंबर में अमेरिका जा रही थी तो उन्हें लेख्य-मंजूषा में सहायक कोषाध्यक्ष बनाकर, कोष की सारी ज़िम्मेदारी उन्हें ही देकर गयी थी। कुछ दिनों के बाद वह नौकरी के सिलसिले में मुम्बई चले गये और लेख्य-मंजूषा संस्था से हट गये। अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कोष की ज़िम्मेदारी सचिव को सौंप गए। कोष की आवश्यकता सचिव को ही ज़्यादा थी…! सन् २०२० -२०२१ के काल में काल का तांडव सभी के अनुभव में है और सदैव रहेगा ही…! मैं छ महीने के लिए अमेरिका गई थी कोरोना के कारण चौदह महीने के बाद वापस लौटी! उस बीच में प्रभास सिंह से एक -दो बार बातें हुईं! बाद में पता चला कि वह बहुत बीमार है! बीमार ऐसा है कि सजीला युवा दयनीय स्थिति में जी रहा है। उनके और उनकी पत्नी के धैर्य को नमन करती हूँ कि आज प्रभास सिंह के लिखी कविताओं को प्रकाशित किया जा रहा है! कवि की अंतरंगानुभूति अभिव्यक्ति पाठक के दिल को छू लेने का प्रयासाधिक्य है! खुले दिल से कहा गया है और पूरे मन से सुना जाना, दोनों दुर्लभाधिक्य तो नहीं है! भावाधिक्य के मर्म को सुना और गुना जा सके प्रयास यही रहा है! लेखक और पाठक दोनों को शुक्ल और कृष्ण पक्ष में ज्ञान के साथ सूर्य के आलोक का दर्शन मिलने की संभावनाधिक्य हो इसी शुभकामनाओं के संग प्रभास सिंह और राहुल शिवाय को साधुवाद के संग शुभाशीष देती हूँ!बुचिया —“और मुझे?”
अम्मू—“गले लगाकर ढेर सारा प्यार-दुलार स्नेह। तुमसे ज़्यादा और कहाँ किसी से…”


6 comments:

  1. लेखक और प्रकाशक दोनों के लिए बधाई और शुभकामनाएं | कहां से प्राप्त हो सकती है पुस्तक?

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय
      -पुस्तक प्रकाशित होने के बाद, पुस्तक मंगवाने का लिंक साझा किया जायेगा

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  2. पनीर दो प्याजा की ग्रेवी कथा से और रोचक हो गई

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  3. विभा जी, ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।

    पनीर दो प्याजा लाजवाब है।
    शुभ इतवार 🌹

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  4. साधारण में असाधारण बात । पनीर के इतने गुण पता ना थे ! और साक्षी भाव को इस तरह महसूस नहीं किया था। अनंत आभार और सविनय अभिनंदन।

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  5. अनोखा अन्दाज़

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गुलाबजामुन : ©️नीरजा कृष्णा, पटना

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