Saturday 7 December 2013

आंसू के रूप





आँख गहना 
आंसू के कई रूप 

5-7-5-7-7

आँख बिछुड़ी
माँ आँचल समाती
मोती बनती 
धरा अंग लगाती 
आंसू धूल सानती 

5-7-5-7-7

साथ छोड़ते
पथराई आँखों का 
नहीं निभाते
कपकपाते होठ  
बे-दर्द आंसू बैरी 


5-7-5-7-5-7-5-7-7

आँख से टूट 
बंदनवार तनी
बरौनी पर 
गम आंसू छोड़ 
पोली बांसुरी 
गुनगुनाने वाली 
जिंदगी धुन 
हृदय तान संग 
विरला बजाता है

_______________ 

10 comments:

  1. बहुत ही लाजवाब छंद हैं सभी ... दिल की छूते हुए ...

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  2. सुन्दर क्षणिकाएं.
    :-)

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  3. वाह बहुत सुन्दर...

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  4. क्या बात ! क्या बात ....... सभी बहुत सुन्दर |

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  5. बहुत ही सुन्दर रचना.

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  6. वाह ... बहुत ही बढिया ... इस उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति के लिये आभार

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  7. आप की इस रचना में खास यह पंक्तियाँ बहुत पसंद आई है ..
    गम आंसू छोड़
    पोली बांसुरी
    गुनगुनाने वाली
    जिंदगी धुन
    हृदय तान संग
    विरला बजाता है

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