![](https://scontent.fpat1-1.fna.fbcdn.net/v/t34.0-12/17580102_1330900960338313_1144004207_n.jpg?oh=dd55822df7f19329534f0e4767bcf9d2&oe=58DDCB72)
झरता पत्ता-
क़ब्रों के बीच में मैंनिशब्द खड़ी
जीवन का अंत
या
जीवन का आरंभ
सबकी सोच अपनी अपनी
मापदंड होंगे न अपने अपने
मेला में स्त्रियाँ -
गूँजती तितलियाँ
छोर से पोर ।
![चित्र में ये शामिल हो सकता है: आकाश, बाहर और प्रकृति](https://scontent.fpat1-1.fna.fbcdn.net/v/t1.0-9/17457613_1332260636869012_976497920010402682_n.jpg?oh=644a0ec23b9a05c76b9f16fc34de544d&oe=595822AF)
![चित्र में ये शामिल हो सकता है: 1 व्यक्ति, वृक्ष और बाहर](https://scontent.fpat1-1.fna.fbcdn.net/v/t1.0-9/17634567_1335089596586116_4647402990037414700_n.jpg?oh=d21813fb82c0cfb9e5d7f87130d4c9fd&oe=595809A4)
जोड़े में बैठा
तीरवर्ती बुजुर्ग -
डूबता सूर्य ।
डूबता सूर्य -
सज गया सिंदूर
नाक से भाल ।
अदाह्य दीप
फैलाये चिंगारियाँ
दल जुगनू ।
बहुत ख़ूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteसार्थक हाईकू
ReplyDeleteबहुत खूब 👌😊💐
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