"यह क्क्य्या नाटक लगा रखी हो... सुबह से बक-बक सुन पक्क गया मैं... जिन्हें अपने पति की सलामती चाहिये वे पेड़ के नजदीक जाती हैं... ई अकेली सुकुमारी हैं..." ड्राइंगरूम में रखे गमले को किक मारते हुए शुभम पत्नी मीना पर दांत पिसता हुआ झपट्टा और उसके बालों को पकड़ फर्श पर पटकने की कोशिश की... ।
मीना सुबह से बरगद की टहनी ला देने के लिए अनुरोध पर अनुरोध कर रही थी... पिछले साल जो टहनी लगाई थी वह पेड़ होकर, उसके बाहर जाने की वजह से सूख गई थी... वट-सावित्री बरगद की पूजा कर मनाया जाता है... फर्श पर गिरती मीना के हांथ में बेना आ गया... बेना से ही अपने पति की धुनाई कर दी... घर में काम करती सहायिका मुस्कुरा बुदबुदाई "बहुते ठीक की मलकिनी जी... कुछ दिनों पहले मुझ पर हाथ डालने का भी बदला सध गया..."।
शुभम सहायिका द्वारा यह शुभ समाचार घर-घर फैलने के डर से ज्यादा आतंकित नजर आ रहा था....
वट सावित्री-
सिर पै ठकाठक
बेना लागल
😜🤣
वाआआह...
ReplyDeleteडब्बल चोट
बरसाईत में ये हंगामा
सादर
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरुवार 24 मई 2018 को प्रकाशनार्थ 1042 वें अंक में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
सस्नेहाशीष संग आभार
Deleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteआदरणीय बिभा दीदी -- सादर प्रणाम | सौ सुनार की पर एक लुहार की -- सरीखी धारदार रचना | क्या बात है नारी शक्ति की !!!!!!नारी मार सह जाती है इसलिए की उसके संस्कार उसे ऐसा करने के लिए मजबूर करते हैं अन्यथा ऐसा बिलकुल नहीं कि उसे प्रतिकार करना और बदले में मारना नाही आता |
ReplyDeleteपानी सिर के ऊपर से गुजर जाने पर ही कोई स्त्री ऐसा कर सकती है...कब तक सहे ?
ReplyDelete😂😂😂
ReplyDeleteकुटाई पिटाई
अच्छे अल्फाज़ो का प्रयोग
वाह क्या वर्णन किया है..आखिर कब तक सहेगा कोई ?
ReplyDelete