Saturday 26 May 2018

"उड़ान"





तालियों की गड़गड़ाहट से सारा हॉल गुंजायमान हो रहा था... आज के समारोह में पढ़ी गई सारी लघुकथाओं में  सर्वोत्तम लघुकथा श्रीमती रंजना जी की घोषित की जाती है... मुख्य-अतिथि श्री महेंद्र मिश्र(वरिष्ट साहित्यकार नेपाल) जी के घोषणा के खुशियों की लाली से रंजना सिंह रक्तिम कपोल लिए , दोनों हाथ जोड़े , मंच से नीचे आकर लेख्य-मंजूषा संस्था (पटना) के अभिभावक डॉ. सतीशराज पुष्करणा जी के चरण-स्पर्श कर, अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव के गले लग फफक पड़ी... विभा उनकी तरहखुशी से छलक आये आँसू को पोछते हुए एक कलम दवात का सेट पकड़ाते हुए बोली कि "याद है रंजना! कभी तुमने पूछा था , संस्था से जुड़ कर मैं क्या करूँगी दीदी...
"संस्था को श्रोता भी तो चाहिए न बहना..." दोनों एक संग खिलखिला पड़ीं...


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