Friday 15 June 2018

"वक्त का गणित"


चित्र में ये शामिल हो सकता है: वृक्ष, आकाश और बाहर

कलाकारी करते समय कूँची थोड़ा आडा-तिरछा कमर की और जरा सा दूसरे जगह भी अपना रंग दिखा दी... हाथी पर चढ़े, टिकने में टक टाका टक अव्यवस्थित ऐसे कलश को देख मटका आँख मटका दिया...
       कलश को बहुत गुस्सा आया उसके नथुने फड़कने लगे... अपने गुस्से को जाहिर करने के पहले उसने दूसरे से मशवरा करना उचित समझा और सखा दीप से सलाह मांगी,
    "ऐसे हालात में मुझे क्या करना चाहिए?"
दीप ने कहा कि "क्या कुम्हार तुम्हें याद है... ?"
    थोड़ी ही देर में पाँच सुहागिनें मटका में जल भरने आईं और जल भर ज्यों टिकाने लगीं , मटका का राम-नाम सत्य हो गया...

5 comments:

  1. बहुत सुंदर संदेश दी..👌👌

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  2. ख़ूबसूरत प्रस्तुति... बहुत ही अच्छे से गणित समझाया आपने। वाकई बेहतरीन

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  3. वा। दीदी क्या बात है।
    अब मुद्धत पुरी हुई देना पडसी दाम।

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  4. वाह ! क्या बात हैं !!!!!!!!थोड़े से शब्दों में प्रभाव शाली संदेश आदरणीय दी | सादर -------

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  5. वक्त का गणित बहुत ही प्रभाव शाली संदेश ताई जी

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