![à¤à¤¿à¤¤à¥à¤° मà¥à¤ यॠशामिल हॠसà¤à¤¤à¤¾ हà¥: वà¥à¤à¥à¤·, à¤à¤à¤¾à¤¶ à¤à¤° बाहर](https://scontent.fpat1-1.fna.fbcdn.net/v/t1.0-9/35282520_2088175591449164_1968746715666186240_n.jpg?_nc_cat=0&_nc_eui2=AeHD-eMvYSwQuVs12QgHetY9d20xDV7KRLbipZKtgnZsBEccvpJE4lijHCFGk4H7qou3VTSBjIO0MP5fFdtWP2liZbofXvMogtrcyjUlBN2WAw&oh=0a753da614fe06d2d8f5935ca61dcdd0&oe=5BB0A4EF)
कलाकारी करते समय कूँची थोड़ा आडा-तिरछा कमर की और जरा सा दूसरे जगह भी अपना रंग दिखा दी... हाथी पर चढ़े, टिकने में टक टाका टक अव्यवस्थित ऐसे कलश को देख मटका आँख मटका दिया...
कलश को बहुत गुस्सा आया उसके नथुने फड़कने लगे... अपने गुस्से को जाहिर करने के पहले उसने दूसरे से मशवरा करना उचित समझा और सखा दीप से सलाह मांगी,
"ऐसे हालात में मुझे क्या करना चाहिए?"
दीप ने कहा कि "क्या कुम्हार तुम्हें याद है... ?"
थोड़ी ही देर में पाँच सुहागिनें मटका में जल भरने आईं और जल भर ज्यों टिकाने लगीं , मटका का राम-नाम सत्य हो गया...
बहुत सुंदर संदेश दी..👌👌
ReplyDeleteवा। दीदी क्या बात है।
ReplyDeleteअब मुद्धत पुरी हुई देना पडसी दाम।
वाह ! क्या बात हैं !!!!!!!!थोड़े से शब्दों में प्रभाव शाली संदेश आदरणीय दी | सादर -------
ReplyDeleteवक्त का गणित बहुत ही प्रभाव शाली संदेश ताई जी
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