Wednesday, 25 May 2022

अलंकार


लगभग तीन साल से चिकित्सा जगत से दूरी बना रखा था।  इस काल का सदुपयोग चिकित्सक के चक्कर लगाने में करने का निर्णय करते हुए इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान पहुँच गए। कुछ दिनों से सीने और गले में परेशानी थी।  अच्छा था कि मास्क लगाना अनिवार्य था। चीटीं को भी सरकने में दम घूंट रहा होगा इंसानों के बीच से। पहला दिन जेनरल फिजिशियन ने कार्डियोलॉजी में रेफर कर दिया। भीड़ के कारण नम्बर नहीं लग पाया। दूसरे दिन जाने पर चिकित्सक से भेंट हुई और जाँच शुरू हुआ। एक परेशान हितैसी का प्रवेश हुआ

"इको टेस्ट करवाना है नम्बर लगा दें,"

"जाँच आज नहीं हो सकेगा, कल सुबह आइए।"

"कल डॉक्टर ऑपरेशन करेंगे टेस्ट का रिपोर्ट आज ही चाहिए।"

"आज नहीं हो सकेगा,कह...,"

"लीजिए; डॉक्टर साहब से बात कर लीजिए, इमरजेंसी है।"

"मुझे किसी डॉक्टर से बात नहीं करनी। कल सुबह आइए टेस्ट हो जाएगा ऑपरेशन के पहले रिपोर्ट मिल जाएगा।"

"आप एक बार डॉक्टर...,"

"टेस्ट रिपोर्ट पर डॉक्टर को केवल पुर्जी लिखनी है। वो भी दवा विक्रय प्रतिनिधि के वैसाखी के सहारे...। टेस्ट करने वाले डॉक्टर का काम ज्यादा जोखिम भरा है..,"

9 comments:

  1. पुर्जी ही लिखनी है..
    सादर नमन

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  2. अक्सर यही होता है
    सब की अपनी अपनी दुविधा और सुविधा के तहत काम करते हैं
    अच्छी पोस्ट

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  3. सबको अपना काम ज्यादा महत्त्वपूर्ण लगता है ।।

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  4. बहुत सुंदर

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  5. ये आज का कड़वा घूंट है जिसे मजबूरी वश सबको पीना पड़ रहा है,सादर नमन दी 🙏

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