Thursday, 22 December 2022

खुलीं आँखें


"तुम्हारे और तुम्हारे भाई के बीच पशु बेचने को लेकर जो समस्या थी उसका क्या निपटारा हो गया ?"

"हाँ! हो गया"

"कैसे हुआ?

"आँगन दो हिस्सा में बाँटना पड़ा तो पशु भी बाँटे गए। उस कारण हमारे हिस्से एक-एक बैल आया। भाई अपने हिस्से का बैल बेचना चाहता था तो उसे मैंने खरीद लिया।"

"अरे वाह! तुम बैल बेचना नहीं चाहते थे, अब तो तुम्हारे पास ही रह गए..!"

"क्या तुम्हारा बेटा किसान बनने के लिए तैयार हुआ?"

"बेरोजगारी दूर करने के लिए नौकरी ना मिलने के कारण अपना धंधा शुरू करना गलत नहीं है .. । पढ़ा-लिखा नौजवान है, देश को आगे बढ़ानेवालों में से एक होकर चलेगा। "

"यानी हमारे अपने खलनायक नहीं हैं..?"

"बिलकुल नहीं! वास्तव में जोखिम तब होता है, जब हमें पता नहीं होता कि हम क्या करना चाह रहे हैं।"

"एक ही आय पर निर्भर न करें, दूसरा स्त्रोत बनाने के लिए निवेश भी करें..!"


7 comments:

  1. व्वाहहहहहहह
    सुंदर अलक
    आनंदित हुई
    कुछ दिनों में फिर एक हो जाएंगे
    सादर नमन

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  2. प्रिय दी,
    कृपया स्पेम चेक करिये, आज.के पाँच लिंकों मैं आपकी यह रचना जोड़ी गयी है।
    आमंत्रण शायद स्पेम में चला गया है।

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  3. सार्थक सीख देती अच्छी पोस्ट ।

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  4. अपना धंधा अपनी किसानी
    वाह!!!!
    बहुत सुंदर सार्थक ।

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  5. अपना काम करने की चाहत कुछ भाग्यशाली लोगों में है।जब शिक्षित नौजवान अपनी भूमि का सम्मान करते हुए जोत कर उसकी आत्मा को ठंडक पहुँचायेंगे तभी देश और समाज का उद्धार होगा।एक बेहतरीन रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं प्रिय दीदी।🙏

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  6. सच तो ये है कि किसान अपनी दयनीय स्थिति से भयाक्रांत हो नहीं चाहते कि उनके बच्चे खेती किसानी करें।

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  7. यथार्थ पर सकारात्मक दृष्टि का बोध कराती और सार्थक सन्देश देती सुंदर लघुकथा ।बधाई दीदी ।

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