Sunday, 1 January 2023

अंधेरा भविष्य



अभी राजा विक्रम शव को कंधे पर लादकर कुछ ही क़दम चले थे कि तभी उस शव में मौजूद बेताल ने अपनी पुरानी शर्त को दोहराते हुए राजा विक्रम को यह नयी कथा सुनाई

एक गुरु जी थे जो हमेशा एक किस्सा सुनाया करते थे कि एक आयोजन में विधा के अनेक जानकार वरिष्ठ सृजक दर्शक दीर्घा में बैठे हुए थे और मंच पर विधा से अनभिज्ञ बैठे हुए थे। विधा के लेखन को विधा से अनभिज्ञ की समीक्षा सुनकर गुरु जी बेहद व्यथित हुए थे और आयोजकों को कहा था कि "यह ठीक नहीं हुआ। विधा के लिए घातक हुआ।"

उसके बाद भी अनेक बार ऐसी परिस्थिति देखी गयी। 

अभी हाल में एक आयोजन में मंच पर छः साल के अनुभव को समेटे सत्र की अध्यक्षता करने वाली के हर रचना पर की गयी टिप्पणी पर दर्शक दीर्घा में बैठे तीस-चालीस के अनुभवी वरिष्ठ रचनाकार की पत्नी पूछ लेती "क्या यह ठीक है, क्या सही समीक्षा हो रही है?"

सत्र खत्म होने के बाद वरिष्ठ रचनाकार की पत्नी ने अनेक प्रतिभागियों से बार-बार कहा,"मेरे पति की अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसलिए इन्हें राज्य सरकार की तरफ से सम्मानित किया जा रहा है। बहुत बड़ी राशि मिल रही है।"

"अब आप बताइए राजन कि आयोजक मंडली को खिले फूल की खुशबू क्यों नहीं मिल सकी?"

शर्त को भूलते हुए राजा विक्रम ने तनिक क्रोधित होते हुए कहा, "सुनो बैताल! तुम्हें शौक है मुझे तंग करने का... अनावश्यक सवाल पूछते हो जिसका ज़बाब तुम्हें पता होता..। खैर! सुनो,

 हर क्षेत्र में धंधा मुख्य हो गया है और उस क्षेत्र की मूल आत्मा गौण। इसी कारण जानकार लोग दर्शकों में बैठे मिलते हैं और तथाकथित गणमान्य मंच की शोभा खराब करते हैं।

पुस्तक छपवाना उपलब्धियों में गिना जाता है, लेकिन उसमें क्या छपा है, इसको दरकिनार कर दिया जाता है।

अब आयोजक को भी केवल चमकते हुए चीज से मतलब हो गया है। अब चमकता चीज चौबीस कैरेट का सोना है या गिलट उससे उसको कोई मतलब नहीं।"


10 comments:

  1. यही सत्य है| मंगलकामनाएं नववर्ष की |

    ReplyDelete
  2. साहित्य सभाओं और सम्मेलनों का कड़वा सच। नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया विभा दीदी।

    ReplyDelete
  3. सच हमेशा कडवा ही होता है ...पर यही सच है । नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌷🌷🌷🌷🌷🌷

    ReplyDelete
  4. नए वर्ष के लिए आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  5. आज का कटु सत्य।
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
  6. आज की कड़वी सच्चाई।

    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...