Wednesday 3 July 2024

पटी दरारें

आग पर चढ़े बर्त्तन में खौलते अदहन में खुदबुदाते चावल सी नहीं होती स्त्रियाँ कि अँगूठे और तर्जनी के बीच एक दाने को मसल कर अंदाज़ा लगा लिया जाता है, चलो सारे चावल पक गए होंगे : अब भात तैयार हो गया…! वैसे भी! उस तरह देखने के बाद भी चावल का स्तर कुछ चावल अधपके रह ही जाते हैं…! स्वतंत्रता से एक कदम आगे ही होती स्वच्छंदता : विनाश की ओर बढ़ जाती हैं स्त्रियाँ! लेकिन दोष केवल स्त्रियों का भी नहीं होता है...। यह ढूँढ़ना सबसे आसान है दूसरे को क्या करना चाहिए। सबसे कठिन है यह ढूँढ़ना मुझे क्या करना चाहिए…। आगे की कहानी कुछ यूँ है, अगुआ की मेहरबानी से पुष्पा की शादी तय हो गयी थी। दोनों पक्षों की बड़ाई को बढ़ा-चढ़ा कर बताना उसका धर्म था। अगुवा अपने कार्य में कुशल था। वैसे कुछ बातें सच भी थी, जैसे कि पुष्पा सारे कार्य करने में दक्ष है-खाना अच्छा बनाती है, कढ़ाई बुनाई-सिलाई अच्छा कर लेती है। अपने कपड़े ख़ुद सिलती है। लेकिन शादी में सिलाई मशीन नहीं मिलने के कारण उलाहने मिलते। कोई ना कोई शब्दों से कोंच देता। उसकी शादी के पाँच वर्षों के बाद उससे बड़े भाई की शादी में उसे सिलाई मशीन नेग में मिल गया। बिहसती हुई सिलाई मशीन लेकर ससुराल आयी। विदाई में मिले माठ (— भइ जो मिठाई कही न जाई। सुख मेलत खत जाय बिलाई। मतलड़ छाल और मरकोरी। माठ पिराँके और वुँदौरी ।— जायसी (शब्द॰)। विशेष— मैदे की एक मोटी और बड़ी पूरी पकाकर शक्कर के पाग में उसे पाग लेते हैं। इसी को माठ कहते हैं। यही मिठाई जब छोटे आकार में बनाई जाती है, तब उसे 'मठरी' वा 'टिकिया' कहते हैं। मठरी नमकीन भी बनाई जाती है। बिहार में वर पक्ष से वधू के घर माठ आता-जाता है।)-लड्डू-खाजा-गाजा-खुरमा-बालूशाही से ससुर जी को प्रसन्न करने का बहाना बना रही थी। घर में बने मिठाई का स्वाद ही अलग होता है। आसानी से बनाया जा सकता हैं। बालूशाही खाने में एकदम खस्ता होती है। यह बाहर से हल्की कठोर और अंदर से एकदम मुलायम होती है। बालूशाही मुँह में रखते ही पिघल जाती है। जानें कैसे बनती है बालूशाही...। बालूशाही बनाने की सामग्री:

मैदा- 2 कप

घी- 1/2 कप

बेकिंग पाउडर- 1 छोटी चम्मच

मावा- 1/4 कप

पिस्ते- 10-12 बारीक कटे

बादाम- 3 बारीक कटे

काजू- 3 बारीक कटे

पाउडर चीनी- 2 टेबल स्पून

चीनी- 2 कप, चाशनी बनाने के लिए

इलायची पाउडर- 1/2 छोटी चम्मच

घी- तलने के लिए

एक बड़े बर्तन में 2 कप चीनी और 1 कप पानी डालकर उसको गैस पर रख दें। चाशनी को एक तार बनने तक पकाएं। अब उसे ठंडा होने तक रख दीजिए, लेकिन ढँककर रखी जाएगी ताकि हल्की गरम भी रहे। बालूशाही इसमें ही डुबाकर निकाला जाएगा।

विधि :– मैदा को एक बर्तन में लें, इसमें बेकिंग पाउडर, घी डालकर मिक्स कर फ्रिज के ठंडे पानी से गूंथ लें, लेकिन पूरी तरह मसल-मसल कर रोटी की तरह नहीं मिलाना है और उसको 10-15 मिनिट के लिए ढक्कर रखें। स्टफिंग बनाने के लिए पैन को गैस पर रखें और इसमें मावा डालें। मावा को भूनकर एक बर्तन में रखें। मावा ठंडा हो जाने पर 2 बड़े चम्मच पाउडर चीनी, बारीक कटे काजू, बादाम, थोडा़ सा इलायची पाउडर मिलाकर रख लीजिए।

गुथे मैदे से छोटी-छोटी लोइया बनाएं। एक-एक लोई को कटोरी का आकार देते हुए गोल करें, बीच में 1/2 छोटी चम्मच मावा स्टफिंग डालकर मैदे को चारों ओर से उठाते हुए स्टफिंग को बंद करें। ऐसे ही सारी बालूशाही बनाएं। तलने के लिये कढ़ाई में घी डालकर धीमी आंच पर हल्का गरम कीजिए। बालूशाही को डालकर हल्की सी ब्राउन होने तक तल लें। जब सब तल जाए तो हल्की गरम चाशनी में डाल-डालकर निकाल लें।

कुछ ही दिनों में उसकी ननद की शादी तय हो गयी तो उसे समझाया गया कि अपना उपहार वो ननद को दे दे। वो तो सास की मशीन पर अपनी कुशलता की परीक्षा पास कर ही चुकी है, (ननद अपने कपड़े भाभी से सिलवाती, पहनकर महाविद्यालय में प्रचार भी करती। प्रधानाध्यापक की बिटिया पक्की सहेली थी। अब सहेली की भाभी के हुनर का आनन्द उसे भी मिलना चाहिए तो उसके भी कपड़े सिलने आये। भाभी का डर से हालत ख़राब। गला काटने में गलती हो जाना स्वाभाविक बात रही। वो तो पूरा कपड़ा था जिससे कुशलता से गलती को सुधार लिया गया। राज का राज आज खोला जा रहा है…।) आगे भी सफलता पाती रहे। पति महोदय ने वादा किया कि शादी के ख़र्चों से उबरते ही पत्नी की पसन्द की सिलाई मशीन ख़रीद देंगे। बड़े भाई हैं अत्यधिक खर्च करना उनका दायित्व बनता है। वो भी सहयोगी होने के ध्येय से ख़ुशी-ख़ुशी अपने ज़िगर के टुकड़े सा सिलाई मशीन ननद को सौंप दी। ननद के लिए तो हाथी शौक़ के लिए पालने वाली सी चीज थी…! बहुत समझा-बुझाकर मशीन से सिलने के लिए एक बार बैठायी गयी थी। ख़ैर! पति महोदय अच्छा वाला जिससे कढ़ाई भी आसानी से हो और सिलाई भी बढ़िया हो सके महँगा वाला सिलाई मशीन ख़रीद देने को कहा गया। वे अनसुना करते रहे तो उनका वादा याद दिलाया गया क्योंकि त्रिया चरित्र आँसू हथियार असर नहीं करता था…! उन्होंने अपना वादा पूरा करने के लिए पुष्पा के सामने शर्त रखी कि “तुम वादा करो कि किसी तरह से भी सिलाई मशीन को आमदनी का माध्यम नहीं बनाया जाएगा।” सपना का अण्डा टूटकर बह गया! क्या करेगी इतना महँगा सिलाई मशीन लेकर…। कोखजाई नहीं होने की टीस उस दिन पुनः हृदय में फफोले बना गयी…! पति अभियन्ता थे, उनके साथ काम करने अनेकों अभियंताओं की पत्नियों का कल्ब खोला गया जिसमें कढ़ाई-सिलाई, वाटिक, बाँधनी, फ़ैब्रिक पेंटिंग, ऑयल पेंटिंग, बालू पेंटिंग, निब पेंटिंग, स्केचिंग इत्यादि तमाम कलाओं को सीखने सिखलाने में अपने को रमा दी। देखने वाले कहते गिनीज़ बुक में नाम दर्ज करवाना है क्या? व्यंग्य रहा हो या खिल्ली उड़ाना, मुस्कुराकर वक्त के बनाये राह पर चल रही थी। पति का जहाँ तबादला होता वहाँ उसका प्रचार पहले पहुँच जाता। पति उसके मुँह पर प्रशंसा नहीं करते लेकिन उसकी कला को उसकी क्षमता को पहचानते तो थे! उसके पति अपने पेशे में बेहद ईमानदार थे तो तबादला भी जल्दी ही जल्दी होता। एक नये शहर में पहुँची तो चमड़े-रेक्सिन के बैग बनाना सीखने का मौक़ा दिखा। वहाँ फार्म भरना था जिसमें आय भरना था। जहाँ सिखाया जाता था वहाँ रहने, नाश्ते-खाने की व्यवस्था थी, सामान ख़रीदने का पैसा मिलता था। उसमें उसके पति के आय के कारण उसका नामांकन नहीं हो सकता था। वह प्रबंधक से मिलने का समय ली और सीखने का मौक़ा माँगी बिना किसी चीज का लाभ लिए। तब उसका नामांकन हो गया। उसी समय वह मोती, पोत, नग जड़े पत्थर से गहना बनाना भी सीख ली। अलग-अलग प्रांतों की महिलाओं से मिलने का जब मौक़ा मिलता तब उस प्रान्त का भोजन बनाना सीख लेती। कुशल महिला बनने में दूरदर्शन भी बहुत सहायक रहा। अनेक कार्यक्रम प्रसारित जो होते सभी को ध्यान से देखती सीखती बनाने का प्रयास करती। मायके से बुनाई मशीन भी उपहार में मिल गया। उसके हाथ से बुनाई का हुनर ज़्यादा पसन्द किए जाते। उसके हाथ का बना भरवा दही बड़ा आह-वाह निकलवा ही लेता!

भरवा दही बड़ा बनाने की सामग्री

250 ग्राम उड़द की दाल

एक मुट्ठी मूंग की धुली दाल

आवश्यकतानुसार सूखे मेवा (काजू,किशमिश, पिस्ता) बारीक काटा हुआ

2 हरी मिर्च कटी हुई

थोड़ा सा हरा धनिया

चुटकी भर सोडा

स्वाद अनुसार नमक

आवश्यकतानुसार तलने के लिए तेल

1/2 किलो दही

1 छोटी कटोरी खट्टी मीठी इमली की चटनी

आवश्यकतानुसार हरी चटनी

थोड़ा जैम

थोड़ा सा अनारदाना

थोड़ा सा हरा धनिया

थोड़ा सा चाट मसाला

थोड़ा सा भुना जीरा पाउडर

स्वाद अनुसार काला नमक

स्वादानुसार भूना लाल मिर्च पाउडर

पकाने का निर्देश : कटी हुई हरी मिर्च, सूखे मेवे, धनिया मिलाकर भरने के लिए

दाल को अच्छे से धो कर 6-8 घंटे के लिए भिगोकर मिक्सर में थोड़ा सा पानी डालकर पेस्ट बना लें इसको हाथों से अच्छे से 5 मिनट तक लगातार फैटे । कुछ घंटे ढँककर छोड़ दें जिससे मिश्रण थोड़ा हल्का हो जाए तब उसमें नमक मीठा सोडा डालकर अच्छे से मिक्स करें और हथेली में हल्का पानी लगाकर थोड़ा पेस्ट रखें उसमें भरावन भरें तथा गर्म तेल में मध्यम आँच पर छोटे-छोटे बड़े तल लें। हल्के गर्म पानी में दही बड़ों को डालते जाएं और आधे घंटे तक भिगोकर रखें। थोड़ा सा दबाकर एक बड़े बर्तन में दही बड़े रखें दही को छलनी में मैश करके छान लें इसमें दो तीन चम्मच पिसी हुई चीनी मिक्स करें और बड़ों के ऊपर डाल दें। इसके ऊपर मीठी चटनी हरी चटनीहरा धनिया, भुना जीरा पाउडर, चाट मसाला, नमक, लाल मिर्च, अनारदाना डालें और सबसे ऊपर जैम सजायें

जिस तरह पुष्पा अपने को तपाती रही बिना कोई मंजिल तय किए चलती रही…, बस! चलती रही, चलती रही! आमदनी की ज़रूरत ही क्या थी!


7 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 04 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  2. खुद ही आजमाना पडेगा रसोई में अपना हाथ | :)

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  3. कहानी घर घर की...साथ ही दो दो रेसिपी
    वाह!!!
    आपका जबाब नहीं ...सादर नमन 🙏🙏

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  4. अति उत्तम

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  5. स्वादिष्ट रसीली रचना ! लेख के साथ बालूशाही का सैंपल भी मिलना चाहिए था !

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आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

पटी दरारें

आग पर चढ़े बर्त्तन में खौलते अदहन में खुदबुदाते चावल सी नहीं होती स्त्रियाँ कि अँगूठे और तर्जनी के बीच एक दाने को मसल कर अंदाज़ा लगा लिया जा...