Wednesday 17 July 2024

ज्ञानमीमांसा : अनरसा

 “पिछले चालीस वर्षों से मैं अपनी पत्नी को अपने साथ लेकर जाता था! अब ये मुझे अपने साथ लेकर चल रही हैं!” बिहार के गया जी में साहित्यिक यात्रा के क्रम में देश के कोने-कोने से एकत्रित हुए साहित्यकारों के सम्मुख, विदाई सत्र में गोखले मुख़ातिब थे!

 “महोदय! हमारी माँ पहले भी आपकी अनुगामिनी थीं और आज भी उन्हें हमलोगों ने आपकी अनुगामिनी बने ही देखा! इस तुषार के बच्चे को देखिए अपनी पत्नी से तलाक़ ले रहा है!” 

“तलाक़ लेने का प्रस्ताव मैंने नहीं रखा था…! हाँ नहीं तो!”

 “चलो मान लिया कि तलाक़ का प्रस्ताव तुमने नहीं रखा लेकिन पत्नी को खर्च करने के लिए रुपया नहीं देना पड़े इसलिए तुमने नौकरी से सेवानिवृत्ति ही ले लिया…!”

“हाँ! ना रहेगा बाँस और ना बज सकेगी बाँसुरी..!”

“आजकल जितने महीने शादी के चोंचलें चलते हैं उतने महीने शादी ही नहीं चलती है…!”

“हाँ! हाँ! अब बताओ कौन कितना सही और कौन कितना ग़लत? हमने माँ को भूटान यात्रा के क्रम में जिस तरह महोदय का ख़्याल रखते देखा! और आँखों के सामने से माँ के ओझल होते, महोदय को परेशान होते देखा गया! इश्क़ के उफान का उदाहरण इनदोनों के जज़्बात को नमन करता हूँ।”

 “सुनो तुषार! दोशीज़ा के लिए थोड़ी सी फ़िकर और थोड़ी सी क़दर : रिश्तों पर दिख जाता है गहरा असर…!”

 “गया जी को केवल मोक्षधाम के लिए नहीं जाना जाता है। यहाँ का तिलकुट {भागलपुर के कतरनी चूड़ा और गया के तिलकुट का अब भी कहीं दूसरा जोड़ नहीं! (सामग्री : 8 —500 ग्राम तिल, 400 ग्राम गुड़ / गुड़ पाउडर, 250 भूना खोया, मुट्ठी भर भूना हुआ काजू का टुकड़ा (ड्राई रोस्ट) 1. सबसे पहले तिल को सूखा भून लेना है हल्का सा सुनहरा। 2. अब अगर आपने साबुत गुड़ लिया है तो पहले उसको टुकड़ों में तोड़ ले गुड को कुटेंगे तो वो काफी अच्छे से टूट जायेगा मै तो गुड़ का पाउडर ही ले रही हूँ जो आजकल आराम से बाज़ार में मिल जाता है। 3. अब थोड़ा-थोड़ा गुड़ और तिल को साथ में मिक्सर/ब्लेंडर में धीरे धीरे पीस लें ध्यान रहे तिल का तापमान गरम से गुनगुना तक हो, ठंडा नहीं। 4. खोया मिला ले और अब इसमें सूखा भूना काजू टुकड़ा भी मिला लें। वैसे ये पूरी तरह से वैकल्पिक भी है।) आइये पूरी तैयार है सीधी सरल किन्तु बहुत ही स्वादिष्ट और सेहतमंद सर्दियों की मिठाई। उसे आकार तो हम-आप अपनी-अपनी मर्ज़ी से दे लेंगे…!} भी प्रसिद्ध है तो क्या आपलोग जानते हैं कि गया जी की एक और मिठाई लोगों की जुबान पर खूब चढ़ती है। जी हाँ! आपने सही पहचाना, बात कर रहा हूँ यहाँ की ही प्रसिद्ध अनरसा की।

चावल का अनरसा {2 कटोरी चावल आवश्यकतानुसार घी/तेल तलने के लिये 1.1/2 कटोरी चीनी मावा -सौ ग्राम तिल आवश्यकता के अनुसार दूध पकाने की विधि 1. सबसे पहले चावल को तीन दिनों के लिये भिगोकर रखना है और रोज़ पानी को बदलते रहना है 2. तीन दिनों के बाद चावल को अच्छे से धोकर सूखा लेना है। पंखें के नीचे कपड़े पर फैलाकर। चावल को मिक्सर जार में डालकर बारीक पीस लेना है और छलनी से छान लेना है… 3. अब आधा कप चीनी को भी बारीक पीसकर छान लेना और एक पैन में एक कप चीनी आधा कप पानी डालकर एक तार की चाशनी बना लेना है 4. अब चावल के आटा और खौलते चाशनी को मिला लेना है 5. अब दो चम्मच दूध डालकर आटा गुथ लेना है और दो घंटे के लिये सेट होने के लिये रख देना है 6. अब आटे और आधा मावा को मसल-मसलकर चिकना कर लेना है उसके लिये 5 मिनट तक मसले और अब छोटी-छोटी लोई बना लेना है 7. आधा मावा में चीनी का पाउडर मिला कर भरावन के लिये गोली बनाना है। 8. ⁠अब एक लोई को हाथों से दबा कर थोड़ा सा गोल बेल लेना है और उसमें मावा की गोली को भर लेना है। और सभी अनरसा ऐसे ही बना लेना है 9. ⁠एक अनरसा के बॉल को हल्का चिपटाकर एक तरफ तिल चिपका लेना है 10. ⁠अब एक कड़ाही में घी/तेल गरम कर लें और धीमी आँच पर अनरसे को तल लेना है, अनरसा को एक ही तरफ से ही सेंका जाता है 11. ⁠सभी अनरसो को एक जाली पर रखते जाये ताकी अतिरिक्त घी/तेल निकल जाये} स्‍वाद का जादू ऐसा कि गया जी आने वाले अनरसा लेकर ही लौटते हैं। ज़ुबान भी थोड़ी मीठी रखनी चाहिए…!”

6 comments:

  1. सुन्दर। तलाक ना हो गया एक रस्म हो गयी नये जमाने की ।

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  2. रिश्तों के धागे इतने कच्चे है या मन मुताबिक जीने की उत्कंठा में मनुष्य की व्यवहारिक उत्श्रृंखलता , इस पहेली का हल ढूँढ रहे हैं आजकल।
    मेरी अनरसा की रेसिपी थोड़ी अलग है:) ,आपकी वाली जरूर ट्राय करेंगे दी।
    सस्नेह प्रणाम।
    सादर।
    ------
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १९ जुलाई २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. वाह! बहुत खूब...तिलकूट और अनरसा दोनों की रेसिपी शानदार..

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  4. पत्नी को खर्च करने के लिए रुपया नहीं देना पड़े इसलिए तुमने नौकरी से सेवानिवृत्ति ही ले लिया…!”

    “हाँ! ना रहेगा बाँस और ना बज सकेगी बाँसुरी..!”
    एक शेर तो दूसरा सवा शेर....
    सुन्दर रेसिपी ...तिलकुट ट्राई करूँगी , अनरसा थोड़ा मुश्किल है।

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  5. वाह बहुत खूब रेसीपी, और उस से पहले शानदार गद्य रचना ।

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