जब भी मैं सोची कि ज़िन्दगी में भला अब क्या बदलाव होगा ....
तो ज़िन्दगी ने अपना अंदाज ही बदल डाला ....
थमी-ठहरी है जिंदगी
गृहस्वामी ने रखा ,अपने जिम्मे दहलीज़ के बाहर के काज
आदत का लेकिन कहाँ होता है कोई इलाज़
Eleventh Our पर सही नहीं रहता मिजाज ,
आकस्मिक भी तो आ जाता अभी और आज ....
dongle नहीं आभासी दुनिया का भान ही नहीं
थमी ठहरी है जिंदगी
set-top-box नहीं बुद्धू box में हलचल ही नहीं
थमी ठहरी है जिंदगी
Cable सलामत नहीं Landline Live नहीं
थमी ठहरी है जिंदगी
कोई festival-छुट्टी नहीं आस-पड़ोस में लोग नहीं
थमी ठहरी है जिंदगी
Mobile में Balance नहीं Gossip करने को कोई Free नहीं
थमी ठहरी है जिंदगी
पुत्र शहर में नहीं पति भी शहर में नहीं
थमी ठहरी है जिंदगी
घर-घर बिलौकी का कौतुक नहीं
Windows shopping का यौंक्तिक नहीं
थमी ठहरी है जिंदगी
कितना पढ़ूँ पढ़ी हुई किताबें
नयी किताबों के लिए खाली जगह नहीं
कुछ नया कैसे लिखूँ ,शब्द मेरे पकड़ में आते नहीं
थमी ठहरी है जिंदगी
जब भी मैं सोची कि ज़िन्दगी में भला अब क्या बदलाव होगा ....
तो ज़िन्दगी ने अपना अंदाज ही बदल डाला ....
कब तक थमी रहती जिंदगी ,थमे रहते जब पल नहीं ....
कब तक ठहरी रहती जिंदगी ,
नदी के तेज़ बहाव में छोटे-छोटे कंकड़ ठहरते नहीं ....
जीत ही जाते हैं हम ,जीतना जरूरी जो होता है ,जीने के लिए .....
बिलौकी = घर-घर घूम के सगुन मांगना ....
खूबशूरत सुंदर लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,विभा जी
ReplyDeleteRecent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
खूबशूरत सुंदर लाजबाब अभिव्यक्ति,,,,विभा जी
ReplyDeleteRecent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
बहुत ही बेहतरीन भावपूर्ण प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन भावपूर्ण प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया आंटी!
ReplyDeleteसादर
नीरज की कविता है -
ReplyDeleteकौन समझे मेरी आँखों की नमी का मतलब
ज़िन्दगी वेद थी पर जिल्द बंधाने में कटी
आज की ब्लॉग बुलेटिन छत्रपति शिवाजी महाराज की जय - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteज़िंदगी कभी ठहरती कहाँ... हम ही शायद ठहर जाते हैं...
ReplyDelete~सादर!!!
जीतना जरूरी जो होता है ,जीने के लिए .....सच कहा..विभा..शुभकामनाएं
ReplyDeleteजीवन नहीं रुकता ...कुछ अलग बिम्ब ले प्रस्तुत रचना
ReplyDeleteज़िंदगी कभी नहीं ठहरती ........सुंदर रचना
ReplyDeleteजिंदगी भला कब ठहरती है , समय की तरह ,नदी की धार की तरह बहती ही रहती है !
ReplyDeleteऔर पढ़ कर मैं थम ठहर गया फिर दुबारा पढ़ने के लिए:) बहुत अच्छा लिखा है आपने .
ReplyDeleteयही सब बहाने हैं ज़िन्दगी जीने के . बहुत बढियां मैम |
ReplyDeletechanging is the rule of nature...
ReplyDeletepahli baar aapko padh rahi hun .. achhi kavita likhi hai aapne isme hindi aur english ke words ki rhyming bahut achhe s ebithaai hai aapne.
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteविभा जी सुंदर प्रयोग नए उपमानों का इस प्रस्तुति में. अच्छी लगी कविता.
ReplyDeleteअलग हटकर ... जिन्दगी रुकती नहीं...यह साकार करती हुई !!
ReplyDeleteसुन्दर हिंगलिश प्रस्तुति। :)
ReplyDeleteऔर ये पंक्तियाँ बेमिसाल लगीं :
"जब भी मैं सोची कि ज़िन्दगी में भला अब क्या बदलाव होगा ....
तो ज़िन्दगी ने अपना अंदाज ही बदल डाला ...."
सादर
मधुरेश
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज के ब्लॉग बुलेटिन पर स्थान दिया है | बहुत बहुत बधाई |
ReplyDeleteनवरात्रि और नवसंवत्सर की अनेकानेक शुभकामनाएँ.
ReplyDelete
ReplyDeleteजिंदगी कभी थमती नहीं ,थोड़ी देर थमने की एहसास देकर फिर चल पड़ती है अपनी गति से .
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सहजता से जिन्दगी को बयान किया है अपने .. जिन्दगी ऐसी ही होती है ..अच्छा लगा ..
ReplyDeleteसही कहा आंटी
ReplyDeleteसादर
bhot sundar waaah whaaah
ReplyDeleteथमी ठहरी है जिंदगी
ReplyDeleteकितना पढ़ूँ पढ़ी हुई किताबें
नयी किताबों के लिए खाली जगह नहीं
कुछ नया कैसे लिखूँ ,शब्द मेरे पकड़ में आते नहीं
थमी ठहरी है जिंदगी...behtarin