Friday, 3 May 2013

पाक के नीयत कितने पाक़ हैं

320887_119611381572299_1138974827_n

सबरजीत के शव से
किडनी और दिल नहीं मिला
पाक के नीयत कितने पाक़ हैं
दिल
दिल जहाँ रह गया
वहीँ आत्मा भी तो रह गई
दिल तक वे संवेदनाएं पहुँच जाती
वो मिटटी बन कर आया
लेकिन वतन की मिट्टी को चूम न सका
जिनकी वज़ह से
वे आज उसकी बहन - बेटी के
आंसू पोछ रहा और गले मिल रहा  है
उसकी बहन उन्हीं लोगों के
सियासी दांव-पेंच को
मजबूत करने की गुहार लगा रही  है
बेटियों को नौकरी देने की दरकार है
क्यूँ कि चलानी तो सरकार है
दिल मजबूर कर देता
आत्मा को दुआएं देने के लिए
शायद
शायद नहीं यकीनन
एक पाक़ हिन्द दिल से
 एक पाक दिल पाक़ हो जाये
शायद
एक स्वस्थ्य सोच की
शुरुआत हो जाए पाक में भी
.पाक के नीयत कितने पाक़ हैं .....

http://sarasach.com/sarabjeet/




14 comments:

  1. क्यूँ कि चलानी तो सरकार है


    सारा खेल बस इसीलिए विभा जी ...... मन क्षोभ से भरा है

    ReplyDelete
  2. kya bolu didi....takleef tho itni hoti hai par fir wahi....mon shradhanjali :(

    ReplyDelete
  3. भारत के लिए इससे बुरा और क्या हो सकता है ....

    ReplyDelete
  4. कभी कभी कितने बेबस होजाते हैं कुछ कहते नही बनाता ..

    ReplyDelete
  5. कटु सत्य को उजागर करती मार्मिक रचना .... सरकार चलानी है .....सब सियासत के दांव पेंच हैं ।

    ReplyDelete
  6. २३ साल तक कुछ नही किया अब सिर्फ राजनीति की नौटंकी हो रही है ,,,

    RECENT POST: मधुशाला,

    ReplyDelete
  7. usa bahan , patni aur betiyon ke dil se poochho ki unhen kaisa laga? na paak ke irade kabhi nek the aur na hain. jis hinsa kee neenv par usaki imarat khadi hai - vo insaaniyat ya islaam kee neenv to katai nahin hai.
    rajneeti tab bhool jate hain neta jab unaki apani beti kisi ke girapht men aati hai.

    ReplyDelete
  8. दुखद है पर राज नेता राजनीति कर रहे है!

    lateast post मैं कौन हूँ ?
    latest post परम्परा

    ReplyDelete
  9. पाक के नीयत का कब पाक और साफ़ थे ....

    ReplyDelete
  10. आज की ब्लॉग बुलेटिन तुम मानो न मानो ... सरबजीत शहीद हुआ है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  11. नीचता हद पार कर रही है अब .

    ReplyDelete
  12. जब देश की आत्मा देश के ही कर्णधार बेंच रहे हैं
    तो वाकई बेहद दुःख होता है
    सरबजीत को लेकर आपने सहजता से देश के प्रति गहन बात कह दी है
    बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  13. बहुत बढ़िया आंटी।


    सादर

    ReplyDelete

आपको कैसा लगा ... यह तो आप ही बताएगें .... !!
आपके आलोचना की बेहद जरुरत है.... ! निसंकोच लिखिए.... !!

प्रघटना

“इस माह का भी आख़री रविवार और हमारे इस बार के परदेश प्रवास के लिए भी आख़री रविवार, कवयित्री ने प्रस्ताव रखा है, उस दिन हमलोग एक आयोजन में चल...