मेरे ब्लॉग के पिछले पोस्ट पर मेरे एक बेटे का कहना था कि कहानी के पात्र को बदल दिया जाये तो पुरुष की जगह महिला होगी सज़ा की हकद्दार ....
उन्हे कहना चाहती हूँ .... किसी भी ऐसी घटना में दोषी दोनों होते हैं , बराबर के .... क्यूँकि ऐसी किसी वारदात तो दोनों के शामिल होने से ही घटित होती है ....
चुकि मैं पीड़िता को जानती हूँ .... तो मैं पुरुष के लिए सज़ा की मांग कर रही हूँ ....मेरे वो बेटे के कोई पीड़ित पुरुष होगा .... जिसकी पत्नी बेवफा होगी .... जिस घटना को मैं लिख रही हूँ ,उसमें भी तो एक बदचलन पत्नी भी तो है .... वो है, दूसरी औरत .... जो अपने पति से बेवफाई ही तो कर रही है ....सज़ा उसे भी तो मिलनी चाहिए ....
खैर ....
पत्नी को अपने विश्वास टूटने पर सब विखरता नज़र आया ..... पत्नी दुख और गुस्सा के ऐसे सैलाब में डूबी कि पहले तो उसे लगा कि वो खुद को खत्म कर ले ....जीने का कोई वजह नहीं रह गया है .... अवसाद ,पत्नी को भी तो हो सकता है .... लेकिन जो जुझारू रही हो .... उसे अपने इस विचार को त्यागने में कुछ घंटे लगे .... फिर सोची अलग हो जाये .... लेकिन अलग होने के पहले अपना भड़ास तो निकाल ले .... इस लिए पति पर चिल्लाना शुरू की .....
जो पत्नी कभी भी किसी को भी एक अपशब्द .... एक गाली अपने इतने लंबे जीवन में ,मज़ाक में भी नहीं बोली होगी .... वो जीतने गाली दे सकती थी .... दी .... ऐसे-ऐसे शब्द बोली कि मैं यहाँ लिख नहीं सकती हूँ .... पति बहुत परेशान हुआ .... उसे अब तक समाज में , परिवार की कमाई अपनी इज्जत मिट्टी में मिलती नज़र आई .... बहुत समझाने का प्रयास किया अपने पत्नी को ....
पति ,पत्नी से बोला :- मैं कोई बेबवफ़ाई नहीं किया हूँ .... आज भी सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा हूँ .... स्थिति को समझो ....
पत्नी पुछी :- तुम्हें जो msg आते हैं या तुम जो msg करते हो .... वैसा कोई मुझे करे तो बर्दास्त कर लोगे .... ?? वो सब मैं तुम्हारे रखैल के पति को बताना चाहती हूँ .... मुझे उसके घर ले चलो .... जिसके लिए उस पत्नी के पति नहीं तैयार हुये ....
पति बोला कि :- एक बार और मुझे मौका दो .... ऐसा कुछ नहीं करो .... वो औरत संयुक्त परिवार में रहती है .... देवर - जेठ का परिवार रहता है .... अगल-बगल में किराएदार रहता है .... हँगामा मत करो .... वो कुछ महीनों में मर जायेगी .... उसे चैन से मर जाने दो ....
ऐसा कैसे हो सकता था कि पत्नी का सब कुछ लूट लेने वाली को कुछ पता ना चले .... वो पति पर ज़ोर देने लगी .... उस औरत को फोन करो .... मैं उससे बात करूंगी .... पति टालता रहा .... लेकिन इस बार पत्नी पर जैसे किसी और का साया हो .... वो जिद करती रही .... फोन होना शुरू हुआ .... लेकिन वही हालात .... पूरा रिंग होकर कट जाये .... और फोन कोई उठाए नहीं .... दिन बैचनी में और रात आंखो में कट गई .... दूसरे दिन सुबह 6 बजे पत्नी अपने पति के ही mobile से phone की
तो वो औरत ही phone उठाई :- hello
पत्नी :- कैसी हो ?
रखैल :- ठीक नहीं हूँ .... कल सिर में बहुत दर्द हो गया था ....
पत्नी :- ऑफिस नहीं जा रही हो ?
रखैल :- जाती हूँ .... सब बहुत तंग करते हैं , छुट्टी देने में .... बहुत गर्मी है तो नाक से खून आ जाता है .... sir ,आपके साहब ही तो मुझे छुट्टी दिलाने में मदद कर देते हैं .... उनकी बात सब सुनते हैं .... छुट्टी मिलने में आसानी हो जाती है .... कोई बात है मैडम ? ....
पत्नी :- नहीं .... कोई बात नहीं है .... कल रात में तुम्हारा Good Night का और आज सुबह में Good Morning का msg नहीं आया तो .... मैं देखना चाही कि तुम्हें कुछ हो तो नहीं गया है ....
रखैल :- कुछ हुआ है ? .... कोई बात कहनी है ? ....
पत्नी :- नहीं .... कोई बात नहीं है .... तुम आराम करो .... फिर बात होगी .... फोन रख रही हूँ .... ना जाने क्यूँ पत्नी को कटु बात करने कि इच्छा नहीं हुई ....
फोन रख देने के बाद भी पत्नी को चैन नहीं मिला .... अकेली बैचैनी में दिन-रात कटी .... पत्नी के पति एक शादी में चले गए थे ....
फिर दूसरे दिन करीब 8-8:30 बजे सुबह में उस औरत को पत्नी फोन की .... फोन वो औरत ही उठाई ....
औरत :- hello
पत्नी :- आज मेरे पति से तुम्हारी बात हुई है ?
शक का कीड़ा न जीने देता है न मरने ....
औरत :- नहीं .... कल रात में मेरे पति के पास Sir साहब का फोन आया था .... उनका फोन खराब हो गया है ना ? खराब था ? .... उसे ठीक करवाने के लिए बोल रहे थे ....
पत्नी :- उनका फोन परसो मैं ही गुस्से में पटक कर फोड़ दी थी .... कुच-कुच कर चकनाचूर कर दी थी .... तुम जो msg करती हो या मेरे पति जो msg तुम्हें करते हैं .... वो तुम्हारे पति जानते हैं ?
औरत :- नहीं ....
पत्नी :- कोई कमी है तुम्हें ?
औरत :- नहीं .... मुझे किसी चीज की कमी नहीं है .... मेरे पास सब चीज है ....
पत्नी :- तुम्हारे पति को कोई दूसरी औरत ऐसा msg करती तो तुम्हें कैसा लगता ?? ....
औरत :- मैं तो मर ही जाती मैडम जी ....
पत्नी :- तो तुम क्या सोच कर ऐसा msg की ,कि मैं मर जाऊँ .... मैं मरने वालों में से नहीं हूँ .... मारने वालों में से हूँ .... तुम्हें और तुम्हारे पति और अपने पति को भी मार डालती .... लेकिन उसके बाद भी तो मुझे भी तो मरना ही होता ....
औरत :- आप गलत समझ रही हैं , मैडम जी .... Sir साहब सब की मदद करते हैं .... मैं उन्हे भगवान की तरह मानती हूँ ....
पत्नी :- तुम अपने को मीरा-राधा समझती हो .... मुझे कृष्ण-राधा+मीरा का प्रेम भी समझ में नहीं आता है .... भगवान ऐसे msg करते हैं या भगवान को ऐसा msg किया जाता है .... ?? तुम मरने वाली हो ....
औरत :- जानती हूँ मैडम जी ....
पत्नी :- अपने पति से बेवफ़ाई करने में घिन नहीं आई .... मेरे पति मेरे भगवान होने चाहिए थे .... ले जाओ ऐसे भगवान को अपने घर में रखना .... मैं अपने घर से निकाल रही हूँ ....
औरत :- ऐसा नहीं कीजिये मैडम जी .... मुझ से ही गुनाह हुआ है .... मुझे सज़ा दीजिये ....
पत्नी :- तुम्हारे msg से मुझे कोई शिकायत नहीं है .... तुम हरामजादी बेश्या हो .... सज-धज कर ऑफिस जाती थी मर्दो को रिझाने के लिए .... हरामजादी गाली किसे दिया जाता है .... पता है .... ?? आज तुम्हारे कारण तुम्हारी माँ को भी गाली सुननी पड़ी .... तुम्हें मैं एक बेटी की तरह समझती थी .... क्यूँ कि तुम मेरे पति के साथ काम करने वाले की बेटी थी .... जो बाप के मरने के बाद अनुकंपा पर चतुर्थवर्गीय की नौकरी पर काम कर रही थी .... तुम अपनी औकात भूल गई थी .... तुम्हारा पति ऑफिसर था .... तो तुम्हें चतुर्थ वर्गीय नौकरी छोड़ देनी चाहिए थी .... तुम मेरे बराबरी में मेरे स्तर की होती .... तुम्हें ऐसे msg करने के पहले कुछ सोचना चाहिए था .... तुम अभी अपने पति के साथ मेरे घर आओ .... नहीं तो मैं आती हूँ .... तब क्या होगा .... इसकी कल्पना भी नहीं कर सकती तुम ....
औरत :- plz .... मैडम जी .... मेरे पति को कुछ नहीं बताइये - कुछ नहीं कहिये ....
पत्नी :- क्यूँ ? मुझे तुम्हारे पति को सब बताना भी है .... और साथ में राय भी देना है .... आज तुम्हारी पत्नी मेरे पति के साथ है .... कल तुम अपनी बेटी को मेरे पति के साथ कर देना .... उनकी जिंदगी कट जायेगी ....
औरत :- plz ..... मैडम जी मुझ से गुनाह हो गया हैन .... अब मैं क्या करूँ .... मेरे गुनाहों की सज़ा–बददुआ मेरी बेटी को मत दीजिये ....
पत्नी :- आओ तो तुम .... देखूँ कि तुम मुझसे नजरे कैसे मिलाती हो .... ??
औरत :- plz .... plz मैडम जी ऐसा नहीं कीजिये .... plz मैडम जी ....
पत्नी :- तुम आओगी , कि मैं आऊँ .... ??
औरत :- plz .... कृपा कीजिये मुझ पर .... दया ही कीजिये .... अब मैं कितना दिन जियूँगी .... मुझ से अब आपको कोई दुख नहीं मिलेगा .... plz ,मैडम जी .... मुझ से कोई सहानुभूति नहीं .... कोई दया नहीं .... तो मेरे बच्चो पर रहम कीजिये .... plz मैडम जी ....
पत्नी निरा बेबकूफ .... शाम में जब उसके पति आए तो बोली कि आज फिर वो उस औरत से बात की है .... सब बात बताई .... पति का सिट्टी-पिट्टी गुम .... मुंह से आवाज ही नहीं निकल रही थी .... कुछ देर के बाद ... बहुत हिम्मत कर के , थूक निगलते हुये ,थर्रायाये गले से पति अपनी पत्नी से बोला :- मुझ से गलती हो गई ... मुझे जो सज़ा देनी हो तुम दो .... समाज में जलील ना करो .... मुझे जलील कर के या उसे ,उस औरत के पति को सब बता कर तुम्हें क्या मिलेगा ....
पत्नी :- संतुष्टि ....। आत्म-संतुष्टि .... ना बताऊँ .... ?? क्यूँ ना बताऊँ .... ?? ना बताऊँ तो क्या मिलेगा .... ?? जो मुझे खोना था मैं खो चुकी .... क्यूँ नहीं बताऊँ .... ?? पत्नी तो बिफर रही थी ....
पति :- तुम कुछ नहीं खोई हो .... वो केवल सहानभूति था .... मैं उस औरत से कभी नहीं मिलूँगा .... ना कभी msg करूंगा .... कल भी तुम्हारा था .... आज भी और आने वाले कल में भी तुम्हारा ही रहूँगा ....
पत्नी :- अब मैं तुम पर विश्वास नहीं कर सकती .... कभी कर ही नहीं सकती ....
पति :- आज मैं कुछ क्या बोलूँ .... बस एक मौका दे दो .... हमें जलील ना करो ....
समाज का डर पति और उस दूसरी औरत के बीच का भगवान और भक्त का नाता पानी के बुलबुले या रेत के महल साबित हो रहे थे (ये तो समय तैय करेगा) पत्नी को लगा कि ये डर उनदोनों को दूर कर देगा )
क्षमा और विश्वास कोई चीज है .... जो कोई किसी को भी बार-बार उठा कर दे दे .... ??
लेकिन ....
पत्नी एक मौका देने के लिए अपने को तैयार करने लगी .... या यूं कहें हो गई है ....
उसका दिल कोई टूटा शीशा था .... जो उठा कर कूड़ेदान में फेंक दे .... दिल तो बार-बार टूटने के लिए ही बना है ....
ऐसी पत्नी को (जो महान बनाने के चक्कर में होती हैं)को मेरी मित्रा-भाभी Mrs.मोतिया(कुतिया) बुलाती हैं .... Mrs.मोतिया(कुतिया)श्रेणी की पत्नी को जरा चोट लगी .... उछल-कूद ... धूम-धड़ाम ... घुरना-गुर्राना ... चीखना-चिल्लाना करती हैं .... जैसे कोई शेरनी हों .... अब जीवन लील कर ही .... किसी की जिंदगी समाप्त कर के ही दम लेगी .... लेकिन .... और जरा सा खोखले प्यार का भी गोस्त-विहीन सुखी हड्डी भी मिली .... कि .... पतली सी दम को टीक-टीक हिलाती हुई पति के सामने बिछ जाती हैं और अपने अस्तित्व को समाप्त कर डालती हैं ....
इस बार देखते हैं ,Mrs.मोतिया में कितनी हिम्मत हैं , कि कितनी बार वो सजती-सँवारती .... टूटती-विखरती .... समेटती-संभालती .... बैठती-उठती हैं .... अपने रोएँ झाड़ कर .... अभी तो Mrs.मोतिया मुस्कुराना भी भूल गई हैं ....
बस आप भी दुआ कीजिये कि Mrs.मोतिया ,अपने को अवसाद से पूरी तरह बाहर निकाल लाएँ ....
http://hamarivani.com/blog_post.php?blog_id=2804
http://sarasach.com/vibha-6/
बहुत सुंदर भावनायें
ReplyDeleteमेरा मानना है के ऐसी स्तिथि में चाहिए औरत हो या मर्द माफ़ी की कभी कोई गुंजाईश नहीं रहती | धोखा धोखा होता है चाहे एक बार किया गया हो या दो बार | फिर आप ऐसे शक्श पर भरोसा कर ही कैसे सकते हैं जो एक बार आपके साथ विश्वासघात कर सकता है वो बार बार करेगा क्योंकि उसको बहार मूंह मारने का चस्का लग गया है | आप उसे एक दफा माफ़ी देंगे वो और ज्यादा चौकन्ना हो जायेगा और अधिक सतर्कता से अपने काम को अंजाम देगा और दीमक बन कर आपको अन्दर से खोखला कर देगा, आपके विश्वास का खून कर देगा और आपको पता भी नहीं लगने देगा |
ReplyDeleteफैलसा आख़िरकार करना आपको खुद ही है कि ऐसे हरामखोरों के साथ जीवन आगे बिताना है या उन्हें उनकी औकात दिखा कर अपने जीवन से चलता करना है | कुत्ते की दुम १०० बरस भी नली में रहे तो भी सीधी नहीं होती उल्टा नली टेडी हो जाती है | जिसकी जैसी फितरत है वो कभी बदलती नहीं आप चाहे कितने ही भले हो या प्यार करने वाले हों | नाली का कीड़ा हमेशा नाली में ही रहता है | जीवन आपका है तो फैसला भी आपका खुद का होना चाहियें |
सजीव चित्रण के साथ एक जीवंत कथानक माँ | मैं उम्मीद करूँगा के आपकी मित्र को सदबुद्धि आये और वो सही-गलत कर फर्क समझ कर फैसला ले सकें | आभार
सजीव चित्रण के साथ एक जीवंत प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteRECENT POST : बेटियाँ,
बहुत सही कहा आपने क्षमा और विश्वास कोई वस्तु
ReplyDeleteनहीं हैं की उठाया और दे दिया ....और इसके
लिए माफ़ी असंभव...
साभार...
इस तरह की गल्तियों के लिए जरा सा भी क्षमा नहीं मिलना चाहिए ,मिसेज मोतिया को अच्छा समझाया | बहुत ही जीवंत चित्रण |
ReplyDeleteमन को भेदती
ReplyDeleteमार्मिक और सीख देती हुई
भावनायें सही हों तो भी बिखर जाती हैं
अदभुत
सादर
आग्रह हैं पढ़े
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.i
ऐसी कम के लिए माफ़ी असभंव सजीव और जीवंत चित्रण ..
ReplyDeleteअन्याय में बराबर का हकदार - एक कर्ता एक भरता = भरता की सहनशीलता भी जिम्मेदार होती है
ReplyDeletepata nahi kya bolu...sahanubhuti ya gussa....par ye sach mey chalta rehta hai....kabhi stri kabhi purush kay saath....
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